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प्रादेशिक

बिहार: विधानसभा में भड़के नीतीश कुमार, कहा- भगाओ सबको यहां से

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Nitish Kumar got angry in assembly

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पटना। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में शराब से हुई मौत के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क गए। छपरा में जहरीली शराब से मौत के सवाल पर बीजेपी विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी कर रहे थे।

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इसपर नीतीश कुमार बेहद नाराज हो गए और चिल्लाकर कहने लगे- ‘तुम (BJP) लोग गंदा काम कर रहे हो। सबको भगाओ यहां से। अब तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तुम लोग शराबी हो गए हो। अब टॉलरेट नहीं किया जाएगा। तुम लोग पूरे बिहार में गंदा काम कर रहे हो।

पहले क्या बोलते थे, अगर नहीं संभले तो काफी बुरा हो जाएगा। तुम लोग शराब के पक्ष में हो गए। जो लोग गंदा शराब पीकर मर रहे हैं उनके पक्ष में हो गए हो। मैं तो कुछ नहीं बोलता था, अब मैं और अभियान चलाऊंगा।’ नीतीश कुमार ने आगे कहा कि तुम लोग गिर गए हो, कितना इज्जत दिया तुम लोगों को, लेकिन तुम क्या कर रहे हो, तुम लोग अपने आप को बर्बाद कर रहे हो। शोर शराबे के बीच सीएम नीतीश कुमार बेहद आक्रामक दिखे। तुम लोगों ने शराब नहीं पीने का संकल्प लिए थे और आज शराब पीने वालों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हो।

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार से सदन में माफी मांगने को कहा। माफी मांगने की बात सुन मुख्यमंत्री फिर से जोर-जोर से बोलने लगे। इस दौरान बीजेपी विधायक जय श्री राम की नारेबाजी करते रहे। बीजेपी विधायक ‘कुढ़नी तो झांकी है, पूरा बिहार बाकी है’, की भी नारेबाजी कर रहे थे।

नीतीश कुमार ने सदन के सदस्यों को धमकाते हुए बर्बाद करने की धमकी दी। उन्होंने कहा जब शराबबंदी कानून लाया जा रहा था, तब सभी इसके पक्ष में थे। उन्होंने सदन में सवाल पूछते हुए कहा कि जब शराबबंदी कानून लाया जा रहा था, तब पक्ष में थे या नहीं, जवाब दो। उन्होंने सदन के भीतर सब को भगाने की बात कही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन के भीतर बेहद गुस्से में नजर आए, उन्होंने सदन के सदस्यों को भगाने की बात कही। उन्होंने सभापति की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘भगाओ सबको’। बीजेपी विधायकों के भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 15 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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