प्रादेशिक
बीजेपी ने जारी किया मेनिफेस्टो, किसानों, महिलाओं और युवाओं के किए कई बड़े वादे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से दो दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो को लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022 नाम दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदी में मंगलवार को इसे जारी किया गया। बीजेपी के मेनिफेस्टो में किसानों, महिलाओं, युवाओं के लिए कई बड़े वादे किए गए हैं।
मेनिफेस्टो के मुख्य बिंदु
- कॉलेज जाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी दी जाएगी।
- अगले 5 साल सभी किसानों को सिंचाई के मुफ्त बिजली मिलेगी।
- 5 हजार करोड़ की लागत से कृषि सिंचाई योजना शुरू होगी।
- गन्ना किसानों को 14 दिन के भीतर होगा भुगतान, देरी होने पर ब्याज मिलेगा।
- हर विधवा और निराश्रित महिला को 1500 रुपये प्रति माह का पेंशन मिलेगी।
- 6 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे।
- 5 हजार करोड़ की लगात से सरदार पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन।
- 25,000 करोड़ की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू होगी।
- 1,000 करोड़ का भामाशाह भाव स्थिरता कोष बनाकर किसानों को आलू टमाटर एवं प्याज जैसी सभी फसलों का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित होगा।
- 5,000 करोड़ की लागत के साथ गत्रा मिल नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत चीनी मिलों का नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण होगा।
- प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप दिए जाएंगे। साथ ही, किसानों की आय बढ़ाने के लिए सौर ऊर्जा से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को बेचने की उचित व्यवस्था की जाएगी।
- 4,000 नए फसल-विशिष्ट FPO स्थापित करके, प्रत्येक एफपीओ को 18 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- मिशन प्राकृतिक खेती के अंतर्गत अगले 5 वर्षों में प्रत्येक ग्राम में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे।
- निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू होगी, जिसके अंतर्गत मछुआरों को 1 लाख तक की नाव 40% सब्सिडी पर उपलब्ध होगी।
- मछली बीज उत्पादन यूनिट स्थापित करने के लिए 25% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी और 6 अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी स्थापित होंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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