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प्रादेशिक

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया नई पार्टी बनाने का ऐलान, बोले-संपर्क में हैं कई कांग्रेस के नेता

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नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के कई लोग उनके संपर्क में हैं। समय आने पर वो नेता सामने आएंगे। बता दें कि अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया है कि जैसे ही चुनाव आयोग नाम और चुनाव चिन्ह को मंजूरी देता है, वह अपनी नई पार्टी शुरू करेंगे।

अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, हम उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन मैं उनका नाम नहीं लूंगा। मेरे समर्थकों को पहले से ही परेशान किया जा रहा है।

यह पूछे जाने पर कि कितने विधायक उनके संपर्क में हैं, उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, अगर राहुल गांधी को पंजाब कांग्रेस के विधायकों के साथ बैक-टू-बैक बैठकें करने की जरूरत है, तो इसका क्या मतलब है?

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अभी तक पार्टी से इस्तीफा क्यों नहीं दिया, अमरिंदर सिंह ने कहा, मैंने कांग्रेस में 50 साल बिताए हैं, अगर मैं 10 दिन और रहूं तो इससे क्या फर्क पड़ता है?

उन्होंने अपने पद पर बने रहने का विरोध करने वाले अधिकांश विधायकों के कांग्रेस के दावों को खारिज कर दिया, और कहा, एक बार जब उन्होंने (पार्टी नेतृत्व) ने मुझे बदलने का मन बना लिया, तो ये सभी बहाने बनाए गए थे।

यह बताते हुए कि उनकी सरकार के लिए कांग्रेस का तथाकथित 18-सूत्रीय एजेंडा पंजाब 2017 के घोषणापत्र का हिस्सा था, उन्होंने कहा कि खड़गे समिति को स्पष्ट रूप से बताया गया था कि सभी चुनावी वादों में से 92 प्रतिशत पूरे किए गए थे।

अमरिंदर सिंह ने अपने विरोधियों, खासकर नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर रंधावा को आड़े हाथों लेते हुए छोटी-छोटी बातों में लिप्त होने के लिए उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा, सिद्धू जहां से भी आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, हम वहीं से लड़ेंगे और उन्हें हराएंगे। उन्होंने कहा कि जब से सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस की बागडोर संभाली है, उनके सर्वेक्षणों के अनुसार पार्टी की लोकप्रियता में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।

अपने पाकिस्तानी दोस्त अरूसा आलम के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए अमरिंदर सिंह ने उनके द्वारा पैसे भेजे जाने के आरोपों को निराधार बताया। यहां तक कि जब उन्होंने पूछा कि क्या पंजाब में अरूसा ही एकमात्र मुद्दा बचा है, तो उन्होंने रंधावा की मंशा पर सवाल उठाया कि इतने सालों तक इसे कभी नहीं उठाने के बाद अब इस मुद्दे को उठाने की क्या मंशा है। उन्होंने कहा कि अरूसा 16 साल से उनसे मिलने आ रही थीं और वह निश्चित रूप से उन्हें फिर से आमंत्रित करेंगे।

यह इंगित करते हुए कि उन्होंने कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन करने की बात नहीं की, अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह जो करना चाहते थे वह सीट बंटवारा था। उन्होंने कहा, सैन्य बातचीत में इसका मतलब बलों की एकाग्रता है। उन्होंने कहा कि हालांकि उन्होंने अभी तक इस मुद्दे पर भाजपा से बात नहीं की है।

सिद्धू के भाजपा के प्रति वफादार होने का आरोप लगाने वाले ट्वीट को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सीट बंटवारे का विचार उनके दिमाग में तभी आया जब उन्हें जबरन पद से हटाया गया। उन्होंने कहा, राज्यों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करना होगा।

उन्होंने आगे यह स्पष्ट किया कि उनका शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ गठबंधन करने का कोई इरादा नहीं था, बल्कि केवल टूटे हुए अकाली समूहों के साथ था।

बरगारी और बेअदबी के अन्य मामलों में कुछ नहीं होने के दुष्प्रचार का विरोध करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी की जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि 19 पुलिस अधिकारियों और 21 नागरिकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रक्रियाओं में समय लगता है।

राजनीतिक मुद्दों को लेकर वह चुनावों में प्राथमिकता देंगे। पूर्व सीएम ने कहा कि एक घोषणा पत्र समिति इसे अंतिम रूप देगी। उन्होंने कहा कि मुद्दे बदलते रहते हैं।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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