उत्तर प्रदेश
यूपी के सभी थानों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे, मंत्रिपरिषद ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
लखनऊ। पुलिस की कार्यप्रणाली में और पारदर्शिता लाने के लिए उप्र की योगी सरकार ने शुक्रवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके अनुसार मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने से संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
शुक्रवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पारित हुए प्रस्तावों के विषय में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश की सभी जेलों में कैमरे लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल फाइल हुई थी। इसकी जरूरत को देखते हुए यूपी में इसे लागू किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में परमवीर सैनी बनाम बलजीत सिंह एक अन्य के मामले में पूरे देश में सीसीटीवी लगाने के लिए अपील की गई थी।
हर वक्त कैमरों में रहेगी पुलिस की कार्यवाही
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि मंत्रिपरिषद द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश के सभी सर्किल मुख्यालयों एवं जनपदीय थानों में 5 कैमरों की व्यवस्था की जाएगी। इन कैमरों में 12 माह तक का फुटेज स्टोरेज रहेगा।
उन्होंने बताया कि पहले इस परियोजना की कुल लागत 359 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब जिस प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने पास किया है, उसकी लागत 144.90 करोड़ रुपए है। मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से पुलिस की कार्यप्रणाली और अधिक पारदर्शी होगी। थानों की कार्यवाही हर वक्त कैमरे की जद में रहेगी।
40 साल बाद टेबल की जाएगी रिपोर्ट
योगी मंत्रिपरिषद ने 40 साल पुरानी एक जांच समिति की रिपोर्ट को टेबल करने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री ने बताया कि डॉ. शमीम अहमद खान एवं उनके समर्थकों ने ईदगाह में गड़बड़ी पैदा करने के लिए रणनीति बनाई थी। उस वक्त 70 हजार नमाजी ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ रहे थे।
उनकी मंशा थी कि प्रशासन को बदनाम करके इसकी जिम्मेदारी बालमीकि समाज और पंजाबी हिंदुओं पर डालकर अपनी छवि सुधार सकें। इस मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने 20 नवंबर 1983 को सौंप दी गई। पूर्व सरकारों द्वारा इसकी रिपोर्ट को सदन में रखने की अनुमति नहीं दी गई। योगी सरकार के संज्ञान में जब यह मामला आया तब इसे टेबल करने का निर्णय लिया गया।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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