आध्यात्म
Chaitra Navratri 2022: व्रत के दौरान इन व्यंजनों का लें ज़ायका, बेहद आसान है इनकी रेसेपी
कल से चैत्र नवरात्री प्रारम्भ हो ही हैं। इसे हिन्दू साहित्य में महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। इन नौ दिन मां दुर्गा धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दौरान व्रत धारण करने वाले भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। नवरात्रि के दौरान उपवास रखने का मुख्य कारण सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि वैज्ञानिक वजह भी है।
दरअसल, इस समय मौसम के बदलाव के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, इसलिए हमें ऐसी चीज़े कहानी चाहिए, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान करें और उपवास का खाना ऐसा करने में सक्षम है। आइए आज व्रत के समय खाए जाने वाले व्यंजनों की रेसिपी जानते हैं, जिनका सेवन नवरात्रि के उपवास को जायकेदार बना सकते है।
साबूदाना वड़ा
इसके लिए सबसे पहले साबूदाना को धोकर दो घंटे के लिए भिगो दें, फिर अतिरिक्त पानी निकाल दें। इसके बाद एक उबले आलू को छील कर कद्दूकस कर लें। अब एक कटोरे में आलू, साबूदाना, दरदरी कुटी मूंगफली, हरी मिर्च, अदरक, तिल, हरा धनिया, नींबू का रस, चीनी और सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब इस मिश्रण से छोटी-छोटी टिकियां बनाकर इन्हें डिप फ्राई कर लें। इसके बाद तैयार साबूदाना वड़ा को धनिये की चटनी के साथ खाएं।
पनीर रोल्स
पनीर एक लाजवाब खाद्य पदार्थ है, जिसका सेवन किसी भी रूप किया जा सकता है जैसे विभिन्न तरह की सब्जियों से लेकर बेहतरीन स्नैक्स तक। पनीर की खासियत है कि आप इसे उपवास में भी खा सकते हैं। उपवास के दौरान आप पनीर रोल्स ट्राई कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक बाउल में पनीर और आलू को कद्दूकस करके उसमें सेंधा नमक डालें और उसके रोल बनाकर डीप फ्राई करके इस गर्मा-गर्म स्नैक्स का जायका लें।
उपवास के आलू
इसे बनाने के लिए सबसे पहले अदरक, हरी मिर्च और हरे धनिये को पीसकर दरदरा पेस्ट बना लें। इसके बाद गर्म तेल की कढ़ाही में जीरा भूनकर, इसमें धनिये वाला पेस्ट डालकर पकाएं। अब इसमें टमाटर डालें और इसे गलने तक पकाएं। अब इसमें उबले आलू, थोड़ी चीनी और सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं, फिर इसमें पानी डालकर ढक दें और उबाला दें। अंत में इसमें बारीक कटा हरा धनिया और थोड़ा नींबू का रस डालकर इसका सेवन करें।
सामक ढोकला
आमतौर पर उपवास रखने वाले लोग सामक के चावलों से खीर या खिचड़ी बनाते हैं, लेकिन आज हम आपको सामक के चावल का ढोकला बनाने की विधि बताते हैं। सामक ढोकला बनाने के लिए सबसे पहले आवश्यकतानुसार सामक के चावल को सामान्य तरीके से तैयार कर लें। फिर उनको साबुत लाल मिर्च, जीरा, घी और कढ़ी पत्ता का तड़का दें। एकदम ठंडा होने के बाद इसके चकोर पीस काट लें और थोड़ी स्टीम देकर ढोकला तैयार कर लें
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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