Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

Chaitra Navratri 2022: जानिए चैत्र नवरात्री के व्रत का सही तरीका, इन नियमों का पालन करने से मां होंगी प्रसन्न

Published

on

Loading

मां आदिशक्ति की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल 2022 से प्रारंभ हो रहा है, जो कि 11 अप्रैल को समाप्त होगा। नवरात्रि के दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की अराधना की जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

मान्यता है कि नवरात्रि में माता रानी की सच्चे मन से अराधना करने वाले भक्तों की मन की मुरादें पूरी होती हैं। इसके साथ ही उपवास रखने वाले भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि शास्त्रों में नवरात्रि व्रत रखने के कुछ नियम बताए गए हैं। कहा जाता है नवरात्रि व्रत में इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है।

जानिए मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किन नियमों का पालन करना चाहिए-

1. शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि व्रत करने वाले भक्तों को पलंग के बजाए जमीन पर सोना चाहिए। अगर आप जमीन पर नहीं सो सकते हैं, तो लकड़ी के तख्त पर सोना चाहिए।
2. नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही व्रती को लाभ, काम व क्रोध से दूर रहना चाहिए

3- व्रत करने वाले व्यक्ति को झूठ बोलने से बचना चाहिए। हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए। इसके अलावा नवरात्रि व्रत में बार-बार जल पीने से बचना चाहिए।
4- नवरात्रि व्रत में गुटका, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
5- नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखने के दौरान भक्तों को मां दुर्गा के साथ अपने ईष्टदेव का ध्यान करना चाहिए।

जानें नवरात्रि व्रत के लाभ-

नवरात्रि व्रत की महिमा शास्त्रों में भी वर्णित है। नवरात्रि व्रत करने वाले जातकों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा होती है। घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है। मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

Published

on

Loading

मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

Continue Reading

Trending