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SC का स्पष्ट कथन- जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करना कानून के विपरीत

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SC gave these instructions regarding the decision of demonetisation

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करना कानून के विपरीत है क्योंकि धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों पर विचार राज्य स्तर पर होना चाहिए। न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एसआर भट्ट की पीठ ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 को चुनौती देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

‘इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी’

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र को निर्देश दे कि जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों को परिभाषित करे और उनकी पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी करे।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता से दो टूक कहा कि इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कानून के विपरीत है। इतना ही नहीं अपनी मौखिक टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में आए टीएमए पाई फैसले का संदर्भ दिया।

पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका मथुरा निवासी देवकीनंदन ठाकुर ने दायर की थी। याचिका में कहा गया कि टीएमए पाई मामले में आए फैसले से कानूनी स्थिति एकदम स्पष्ट है कि भाषायी और धार्मिक अल्पसंख्यक तय करने के लिए इकाई राज्य होगा।

अधिवक्ता आशुतोष दुबे के जरिए दायर याचिका में 23 अक्टूबर 1993 को सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर जारी अधिसूचना को मनमाना, अतार्किक और संविधान के अनुच्छेद 14,15,21,29 और 30 का विरोधाभासी करार देने का अनुरोध किया गया था।

इससे पहले 18 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क पर सवाल किया था कि हिंदुओं को उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिल रहा है जहां वे अल्पसंख्यक हैं।

शीर्ष अदालत ने पूछा था कि क्या इस दावे के पक्ष में ठोस उदाहरण है। अदालत ने तब कहा था कि अगर इस संबंध में कोई ठोस तथ्य उसके सामने पेश किया जाता है तो तब वह सुनवाई करेगी। वहीं अब सोमवार की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान का अनुरोध कर रहा है लेकिन इसपर सुनवाई नहीं जा सकती।

पीठ को सूचित किया गया कि अलग अर्जी राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए दिशानिर्देश बनाने हेतु दायर की गई है। याचिका में दावा किया कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक है और यह मामला शीर्ष अदालत के एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है।

बता दें कि अदालत में लंबित अर्जी दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं में शामिल अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने शीर्ष अदालत को बताया कि कुछ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। पीठ ने टिप्पणी की कि वह इस संबंध में आम निर्देश नहीं जारी कर सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि ठाकुर द्वारा दायर अर्जी को अन्य लंबित याचिका के साथ सितंबर के पहले में उचित अदालत के समक्ष सूबीबद्ध किया जाएगा।

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पीएम मोदी ने देशवासियों को दी दिवाली की शुभकामनाएं, कहा- मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की कृपा से सबका कल्याण

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आज देशभर में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। इसे लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। रोशनी के पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट कर  देशवासियों को दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए लिखा, “देशवासियों को दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएं। रोशनी के इस दिव्य उत्सव पर मैं हर किसी के स्वस्थ, सुखमय और सौभाग्यपूर्ण जीवन की कामना करता हूं। मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की कृपा से सबका कल्याण हो।”

इससे पहले बुधवार को पीएम मोदी ने इस बार की दिवाली को बेहद खास बताया था। उन्होंने कहा था कि ‘प्रकाश का त्योहार’ दिवाली इस बार काफी ‘विशेष’ है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने रोशनी से जगमगाते राम मंदिर की तस्वीरें साझा कीं, जिस पर पीएम मोदी ने कहा, “अलौकिक अयोध्या! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के अपने भव्य मंदिर में विराजने के बाद यह पहली दीपावली है। अयोध्या में श्री राम लला के मंदिर की यह अनुपम छटा हर किसी को अभिभूत करने वाली है।”

उन्होंने कहा, “500 वर्षों के पश्चात यह पावन घड़ी रामभक्तों के अनगिनत बलिदान और अनवरत त्याग-तपस्या के बाद आई है। हमारा सौभाग्य है कि हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने हैं। मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम का जीवन और उनके आदर्श विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में देशवासियों के लिए प्रेरणापुंज बने रहेंगे। जय सियाराम!”

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