प्रादेशिक
महंत अवैद्यनाथ की श्रद्धांजलि सभा में बोले सीएम योगी- इस क्षेत्र के शैक्षणिक विकास हेतु उन्होंने पांच दशक तक अनवरत रूप से कार्य किया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय, जनपद महराजगंज में ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में कहा कि पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने देश व धर्म के विकास एवं लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न कार्य किये। पूज्य महंत जी ने विशेषतः इस क्षेत्र के शैक्षणिक विकास हेतु चार से पांच दशक तक अनवरत रूप से कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब इस क्षेत्र में शिक्षा का कोई केन्द्र नहीं था, तब 1950 के दशक में महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने पूज्य गुरु महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज के नाम पर दिग्विजयनाथ इण्टर कॉलेज की स्थापना की थी। इस शिक्षण संस्था के विद्यार्थियों ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में रोशनी बिखेरने का कार्य किया है। पूज्य महंत जी ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए 1990 के दशक के पूर्वार्द्ध में एक स्कूल खोला था। बालिकाओं की उच्च शिक्षा हेतु डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए महंत जी ने हमें प्रेरित किया था। आज गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय यहां के युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए तत्पर है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध यह महाविद्यालय कला, विज्ञान व वाणिज्य की शिक्षा यहां के बच्चों को उनके घर (जनपद) में ही उपलब्ध करा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज जी सदैव शिक्षण कार्यों के विकास के लिए तत्पर रहे, क्यांेकि वह यह मानते थे कि आज के बच्चे कल हमारे देश के भविष्य होंगे। पूज्य महंत जी ने इस क्षेत्र के लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं पशुओं के इलाज हेतु पशु चिकित्सालय खुलवाए। उन्हांेने कहा कि पूज्य महंत जी ने मन्दिरों को लोक कल्याण के केन्द्र के रूप में स्वीकार किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में आज देश की आन्तरिक एवं बाह्य सुरक्षा पहले से मजबूत हुई है। आज देश से नक्सलवाद, माओवाद, पूर्वाेत्तर के उग्रवाद से निजात मिली है तथा कश्मीर में अलगाववाद का समाधान किया गया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत के जज्बे को स्वीकार कर रही है और देश प्रधानमंत्री जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। भारत दुनिया की महाशक्ति के रूप में निरन्तर आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ हो रहा है। यशस्वी नेतृत्व से वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिष्ठा मंे वृद्धि हुई है। आज सीमा पार से घुसपैठ में कमी आयी है। सीमावर्ती क्षेत्रों में दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता तथा दुस्साहस करने वालों को हटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह नये एवं मजबूत भारत की तस्वीर है। देश का प्रत्येक नागरिक ऐसे यशस्वी नेतृत्व को अभिनन्दन कर रहा है।
इससे पूर्व, केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी व मुख्यमंत्री जी ने पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया तथा उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री जी ने कहा कि पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था। वह शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के समर्थक व सहज व्यक्तित्व के धनी थे। पूज्य महाराज जी ने सनातन धर्म की रक्षा व संवर्धन के लिए अतुलनीय कार्य किये। उन्होंने कहा कि नाथ सम्प्रदाय व गोरक्षपीठ के प्रति लोगों में अपार आस्था है। नाथ सम्प्रदाय व गोरक्षपीठ ने जाति, धर्म, पंथ का भेद किये बिना देश व धर्म के विकास तथा सामाजिक समरसता को बढ़ाने में अपना अमूल योगदान दिया है। राम जन्मभूमि के इतिहास में महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का महती योगदान है।
रक्षा मंत्री जी ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ जी महाराज विशाल हृदय की शख्सियत थे। छोटे दिल का व्यक्ति कभी संत नहीं हो सकता और समाज का कभी कल्याण नहीं कर सकता। छोटे मन का व्यक्ति कभी बड़े उद्देश्य को नहीं प्राप्त कर सकता। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने कहा था कि ‘जो पिण्ड में है वहीं ब्रह्ममाण्ड में है, जो जड़ में है वहीं चेतन में है, जो सूक्ष्म में है वही विवर्त में है, जो छोटे में है वही बड़े में है, जो मेरे में है वही तेरे में है’ – यह संदेश जनमानस तक पहुंचाने का कार्य नाथ सम्प्रदाय ने किया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति कभी छुआ-छूत की इजाजत नहीं देती। भारत की धरती से ही ‘वसुधैव कुटुबम्कम’ का संदेश पूरे विश्व में गया है। उन्होंने कहा कि सर्वधर्म सम्भाव की नीति पर बढ़ते हुए मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार कार्य कर रही है। विगत साढ़े चार वर्षों से उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के समग्र विकास के लिए कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है। आज अपराधियों के मन में कानून व्यवस्था का भय व्याप्त है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में विकास के नये-नये मापदण्ड स्थापित किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने कोरोना कालखण्ड में बेहतर प्रबन्धन द्वारा कोरोना महामारी का सफलतापूर्वक नियंत्रण किया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत तेजी से विकास रथ को आगे बढ़ा रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी किसी देश की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया है। देश पहले आक्रमण की नीति पर कार्य नहीं करेगा, लेकिन दुस्साहस करने वालों को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार ने बिना भेदभाव के लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया है। निःशुल्क आवास, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर तथा कोविड कालखण्ड में मुफ्त खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था जैसी विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में मेडिकल कॉलेज स्थापित कराया जा रहा है। प्रदेश की स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का लाभ 42 लाख लोगों को प्रदान किया गया है। प्रदेश में साढ़े चार वर्षाें में 07 नये विश्वविद्यालय बने है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आज गुण्डों पर वर्दी भारी है। माफियाओं व अपराधियों की अरबों रुपये की अवैध सम्पत्ति जब्त की जा चुकी है। अपराधियांे का मनोबल टूटना चाहिए तथा सज्जनों का मनोबल बढ़ना चाहिए, यही शासन की जिम्मेदारी व उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी की दृढ़इच्छा शक्ति से प्रदेश बदल रहा है। गांव, गरीब, दलित, वंचित, महिला, किसान, नौजवान सभी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी, प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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