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प्रादेशिक

कोरे झूठे वादे कर जनता का अपमान कर रहे हैं अखिलेश यादव – सुरेश खन्‍ना

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लखनऊ। अखिलेश यादव पुलिस कल्‍याण की जिन योजनाओं का वादा जनता के बीच कर रहे हैं,उन्‍हें योगी सरकार काफी पहले ही पूरा कर चुकी है। चुनाव में उतरने से पहले अखिलेश यादव ने बेसिक जानकारी भी नहीं दुरुस्‍त की है। यह बातें रविवार को कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कही। योगी सरकार ने पुलिस कल्‍याण की जो योजनायें पहले ही लागू की हैं अखिलेश यादव जनता से उन्‍हीं योजनाओं को लागू करने का वादा कर रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री ने दस्‍तावेजों के आधार पर रविवार को अलिखेश के झूठे वादों की पोल खोली। दरअसल सपा प्रमुख ने रविवार को ट्वीट कर सपा,रालोद गठबंधन की सरकार बनने पर पुलिस कर्मियों को मोटरसाइकिल व मोबाइल रीचार्ज भत्‍ते समेत वर्दी,पौष्टिक आहार भत्‍ता बढ़ाने,मकान किराया भत्‍ते की समीक्षा और प्रमोशन जैसे वादे किए। जबकि इन चीजों को योगी सरकार पहले ही कर चुकी है। योगी सरकार ने 29 दिसंबर को पुलिस कर्मियों के पौष्टिक आहार भत्‍ते में 25 फीसदी बढ़ोत्‍तरी की है। 1 जनवरी से पुलिस कर्मियों को वर्दी भत्‍ते में बढ़ोत्‍तरी का लाभ मिल रहा है। इसके तहत निरीक्षक,मुख्‍य आरक्षी व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को भत्‍ते का लाभ मिल रहा है।

वर्दी भत्‍ते के अतिरिक्‍त धुलाई भत्‍ता भी दिया जा रहा है। 7वें वेतन आयोग के मुताबिक अराजपत्रित अधिकारियों को मकान किराया भत्‍ता दिया जा रहा है जबकि बैरेक में रहने वाले कर्मियों को फैमिली एमोडेशन एलाउंस जनपद श्रेणीवार प्रतिमाह दिया जा रहा है। फील्‍ड में तैनात उपनिरीक्षकों को 700 रुपये मोटरसाइकिल भत्ता और आरक्षी के पद पर 200 रुपये प्रतिमाह साइकिल भत्‍ता दिया जा रहा है। शासनादेश संख्‍या 29-12-2021 के द्वारा नागरिक पुलिस,पीएसी के मुख्‍य आरक्षी व आरक्षी को 2000 प्रतिवर्ष शासन द्वारा स्‍वीकृत किया गया है। जो जनवरी और जुलाई में दिया जा रहा है। खन्‍ना ने कहा कि चुनाव प्रचार में झूठ पर झूठ बोल रहे अखिलेश पहले से लागू योजनाओं को भी लागू करने का वादा कर रहे हैं। उत्‍तर प्रदेश की 24 करोड़ जनता का मखौल उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह उत्‍तर प्रदेश की जनता का अपमान है। उन्‍हें अपने झूठ के लिए यूपी के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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