उत्तर प्रदेश
Corruption के खिलाफ चला सीएम योगी का डंडा, डिप्टी कमिश्नर गिरफ्तार
लखनऊ। सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार (Corruption) तथा कार्य में शिथिलता को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में कई आइएएस तथा आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद अब राज्य कर विभाग के उपायुक्त के खिलाफ एक्शन हो गया है।
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करीब ढाई करोड़ रुपये के गबन के मामले में वाणिज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर मुन्नी लाल को गिरफ्तार किया गया है। उप्र पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने बुधवार देर रात करीब ढाई करोड़ रुपये के गबन में वाणिज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर मुन्नी लाल को लखनऊ में उनके आवास से गिरफ्तार किया है। मुन्नी लाल वर्तमान में लखनऊ स्थित वाणिज्य कर मुख्यालय में हाई कोर्ट का काम देख रहे थे।
उप्र तथा उत्तराखंड के बार्डर पर गड़बड़ी
मिली जानकारी के अनुसार बिजनौर में वर्ष 2005 में तैनाती के दौरान राज्य जीएसटी में गड़बड़ी करने के मामले में मुन्नीलाल को EOW ने गिरफ्तार कर लिया है। EOW के अनुसार डिप्टी कमिश्नर व्यापार कर के पद पर रहते हुए मुन्नीलाल ने बिजनौर में तैनाती के दौरान उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के बार्डर पर गड़बड़ी की थी।
वह भागूवाला चेकपोस्ट पर तैनात थे। उस दौरान पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड से आने वाला लौह अयस्क चेक पोस्ट नौबतपुर से बहती (क्लियरेंस का कागज) लेकर भागूवाला चेक पोस्ट के रास्ते उत्तरांचल जाता था। प्रति गाड़ी चार प्रतिशत का टैक्स लगता था, जिसमें से आधा हिस्सा उत्तराखंड को और आधा यूपी को मिलता था।
करीब हजार गाड़ियों की फर्जी बहती
आरोपी मुन्नी लाल ने अन्य लोगों से मिलीभगत कर करीब हजार गाड़ियों की फर्जी बहती बनाई और इनमें लदा माल यूपी में उतरवा लिया। इस फर्जीवाड़ा में मुन्नीलाल के अलावा 13 और आरोपित हैं। मुन्नी लाल के खिलाफ शिकायत की जांच चल रही थी।
दो करोड़ 43 लाख 93,437 रुपये का बंदरबांट करने का आरोप
मुन्नी लाल पर अपने सहयोगियों के साथ दो करोड़, 43 लाख, 93,437 रुपये का बंदरबांट करने का आरोप था। जिसकी जांच भी गई। मुन्नीलाल सुल्तानपुर जिले के कोतवाली देहात थाने के भर्तीपुर गांव के निवासी हैं। डीजीपी ईओडब्ल्यू आरके विश्वकर्मा ने एसपी हबीबुलहसन के नेतृत्व में टीम गठित कर मुन्नी लाल को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। इनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लंबे समय से रुकी हुई थी।
शासन से मंजूरी मिलते ही ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई की। इस केस के कारण ही उनका प्रमोशन रुका हुआ था। उनके बैच के साथी वर्तमान में अडिश्नल कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। ईओडब्ल्यू की स्टेट जीएसटी विभाग में कार्रवाई ने मामले को एक बार फिर गरमा दिया है।
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उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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