प्रादेशिक
टीकाकरण में नंबर वन यूपी, अब तक 17 करोड़ लोगों को लग चुकी है वैक्सीन
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट को ध्या न में रखते हुए प्रदेश सरकार लोगों को जल्दन से जल्दव टीका कवच उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार यूपी में टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने पर जोर दे रही है। प्रदेश सरकार के प्रयासों के सफल परिणाम मंगलवार को देखने को मिला। अब तक 17 करोड़ से अधिक टीकाकरण कर उत्तर प्रदेश ने देश में सर्वाधिक टीके लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। यूपी में 17 करोड़ चार लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है।
इसमें पहली डोज 11 करोड़ 56 लाख से अधिक और दूसरी डोज 05 करोड़ 48 लाख दी जा चुकी है।कोरोना टीकाकरण अभियान में उत्तर प्रदेश दूसरे प्रदेशों से कहीं आगे हैं। प्रदेश ने सर्वाधिक टेस्ट और टीकाकरण कर दूसरे प्रदेशों के समक्ष एक नजीर पेश की है। 24 करोड़ की आबादी वाले यूपी में सीएम योगी आदित्येनाथ के निर्देशानुसार एक सधी रणनीति के तहत तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के उद्देश्यक से एक प्रभावी रणनीति के अनुसार टीकाकरण किया जा रहा है। कम समय में तेजी से टीकारकण करने वाले यूपी में अब तक 78.05 प्रतिशत पात्र लोगों ने पहली और 36.63 प्रतिशत पात्र लोगों ने दूसरी डोज का टीका कवर प्राप्ति कर लिया है।
क्लस्टर 2.0 से टीकाकरण में आई तेजी
प्रदेशवासियों को जल्दो से जल्द टीकाकवर देने के उद्देश्यि से प्रदेश में क्लस्टर 2.0 अप्रोच को लागू किया गया है। क्लस्टर 2.0 से टीकाकरण की रफ्तार में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। गांवों में क्लस्टर 2.0 अप्रोच से टीकाकरण की दूसरी डोज की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। क्लस्टर मॉडल के जरिए जिन ग्रामों, मोहल्लों में प्रथम डोज लगाने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया था, उन ग्रामों में क्लस्टर मॉडल के तहत दूसरी डोज को लगाने का काम किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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