Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

उद्धव ठाकरे के सामने अस्तित्व का संकट, 15 सांसदों के शिंदे गुट में जाने के संकेत

Published

on

एकनाथ शिंदे

Loading

मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुए भारी सियासी उलटफेर के चलते राज्य की सत्ता गंवा चुके शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने अब अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है।

शिवसेना के 40 विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाले गुट के समर्थन में हैं और महज 15 ही उद्धव ठाकरे के साथ हैं। अब खबर है कि 15 सांसद भी शिंदे के साथ जा सकते हैं। बुधवार देर रात इन लोगों ने सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात की है।

कहा जा रहा है कि यह मीटिंग राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में हुई थी लेकिन उद्धव ठाकरे के मुश्किल वक्त में इस मीटिंग ने कयास तेज कर दिए हैं कि क्या 19 लोकसभा सांसदों में से 15 उन्हें छोड़ सकते हैं।

इनमें से एक सांसद श्रीकांत शिंदे भी हैं, जो सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे हैं। इसके अलावा बागी सांसद भावना गवली को पहले ही शिवसेना संसदीय दल के चीफ व्हिप के पद से हटा चुकी है।

बीएमसी चुनाव में कुछ ही वक्त बचा है और उससे पहले लग रहे झटकों ने उद्धव ठाकरे की चुनौती बढ़ा दी है। ठाणे के 67 में से 66 शिवसेना पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य जिलों में भी संगठन में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि बुधवार रात शिंदे के आवास पर हुई बैठक में शिवसेना के 19 में से 4 सांसदों को छोड़कर 15 अन्य मौजूद थे। अगर ये सांसद भी एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हैं तो उद्धव ठाकरे का आने वाला राजनीतिक सफर और भी मुश्किल होगा। बता दें कि सांसदों के दबाव में ही शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया था।

कभी मातोश्री का आदेश था सर्वोपरि, अब अस्तित्व का संकट

शिवसेना सदस्य ‘मातोश्री’ यानी ठाकरे परिवार के आदेश को अंतिम मानते रहे हैं। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की पकड़ इसकी मिसाल थी, लेकिन उद्धव ठाकरे से एकनाथ शिंदे की बगावत ने तस्वीर उलट दी है। उन्होंने उद्धव ठाकरे को सीधी चुनौती दी है और दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को साथ लेकर बताया है कि वह कितने मजबूत हो चुके हैं।

शिवसेना पर मजबूत हो जाएगा एकनाथ गुट का दावा

एकनाथ शिंदे गुट की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि हमारी शिवसेना ही असली शिवसेना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर विधायकों के बाद सांसद भी शिंदे गुट में शामिल हो जाएं तो उद्धव ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व हिल सकता है। उद्धव ठाकरे जहां पिछले ढाई साल से बीजेपी की आलोचना कर रहे हैं, वहीं बागी शिंदे गुट बीजेपी की मदद से राज्य में सत्ता में आया है।

उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

Published

on

Loading

संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

Continue Reading

Trending