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खेल-कूद

SC के फैसले के बाद FIFA हटा सकता है AIFF पर लगा बैन, CoA को किया रद्द

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नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ़ इंटरनेशनल फुटबाल एसोसिएशन (फीफा-FIFA) द्वारा अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (AIFF) को निलंबित किए जाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने 17 अगस्त को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर निलंबन से संबंधित याचिका पर सुनवाई आज तक के लिए स्थगित कर दी थी। इस दौरान कोर्ट ने एआईएफएफ के प्रबंधन के लिए गठित सीओए (CoA) को रद कर दिया।

निलंबन को रद्द करने के लिए आदेश पारित

कोर्ट का कहना है कि वह फीफा द्वारा एआईएफएफ के निलंबन को रद्द करने और भारत में अंडर -17 फीफा विश्व कप आयोजित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारत की टीमों की भागीदारी की अनुमति देने के लिए आदेश पारित कर रहा है।

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि फीफा ने इलेक्टोरल कालेज पर चिंता व्यक्त की है। हमारा रुख था कि खिलाड़ियों को वोट देने वाली कार्यकारी समिति का हिस्सा होना चाहिए और अभी हम प्रस्ताव करते हैं कि निर्वाचित कार्यकारी निकाय में 25% प्रख्यात खिलाड़ी होंगे।

सुप्रीम कोर्ट पीएमएलए अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखने से संबंधित फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या CoA ने आज काम करना बंद कर दिया, तो आज से लेकर विश्व कप तक प्रशासन कौन संभालेगा? इस पर एसजी मेहता का कहना है कि अगर सीओए का अस्तित्व समाप्त हो जाता है तो महासचिव कार्य कर सकते हैं।

फीफा ने दो वर्षों में कभी नहीं किया हस्तक्षेप

वहीं, सीओए की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फीफा ने पिछले दो वर्षों में कभी हस्तक्षेप नहीं किया जब एआईएफएफ में संविधान का पालन नहीं किया जा रहा था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सभी ने यहां बदलावों के लिए सहमति व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ हमारी पीठ पीछे फीफा के पास चले गए और कहा कि यह बिना मान्यता के किया जा रहा है।

इससे पहले, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह सीओए को 23 अगस्त के अंत तक अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (AIFF) के लिए अंतिम मसौदा संविधान अदालत को सौंपने का निर्देश दे और उस दिन से सीओए के आदेश को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया जाए।

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खेल-कूद

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा पर लगा धोखाधड़ी का आरोप, अरेस्ट वारंट जारी

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नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को PF में धोखाधड़ी के मामले में अरेस्ट वारंट जारी हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक उथप्पा सेंटॉरस लाइफस्टाइल ब्रांड प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी में हिस्सेदार हैं। इस कंपनी ने कर्मचारियों के खातों से प्रोविडेंट फंड यानी PF का पैसा तो काट लिया लेकिन उसे जमा नहीं किया। जिसके कारण से लगभग 23 लाख रुपए की धोखाधड़ी सामने आई है। इसी वजह से 4 दिसंबर को उथप्पा के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया था। उन्हें पूरे पैसे जमा करने के लिए 27 दिसंबर तक का समय भी दिया गया। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें फिर गिरफ्तार किया जा सकता है। अब इससे पहले ही उथप्पा की तरफ से बयान सामने आया है।

रॉबिन उथप्पा ने कंपनियों को उधार दिए थे पैसे

रॉबिन उथप्पा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि मेरे खिलाफ PF मामले की हाल की खबरों सामने आने के बाद, मैं स्ट्रॉबरी लेंसेरिया प्राइवेट लिमिटेड, सेंटारस लाइफस्टाइल ब्रांड्स प्राइवेट लिमिटेड और बेरीज फैशन हाउस के बारे में अपनी भागीदारी के बारे में बताना चाहता हूं। मुझे 2018-19 में इन कंपनियों में डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था। क्योंकि कर्ज के तौर पर मैंने इन कंपनियों को पैसे दिए थे। मेरे पास सक्रिय कार्यकारी भूमिका नहीं थी, एक प्रोफेशनल क्रिकेटर, टीवी प्रेजेंटर और कमेंटेटर के रूप में काम को देखते हुए मेरे पास इसमें भाग लेने के लिए समय नहीं था। आज तक जिन अन्य कंपनियों को मैंने कर्ज दिया है। उनमें भी कार्यकारी भूमिका नहीं निभाता हूं।

 

 

 

 

 

 

 

 

ऊपर से ये कंपनिया मेरे द्वारा दिए गए उधार को चुकाने में असफल रही हैं। जिसके कारण मुझे कानूनी कार्यवाही शुरू करनी पड़ी। कई साल पहले मैंने डायरेक्टर के पद से भी इस्तीफा दे दिया था। जब PF अधिकारियों ने बकाया भुगतान की मांग की, तो मेरी कानूनी टीम ने जवाब दिया और बताया कि इसमें मेरी कोई भी भूमिका नहीं है। इसके बाद कार्यवाही जारी है। मेरे कानूनी सलाहकार आने वाले दिनों में इस मामलों को सुलझाने के लिए कदम उठाएंगे। मैं मीडिया से भी आग्रह करना चाहूंगा कि वे कृपया पूरे तथ्य पेश करें।

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