Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

हिजाब विवाद: SC में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित; दी गई ये दलीलें

Published

on

supreme court

Loading

नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने 10 दिनों तक इस मामले में सुनवाई की है और अब फैसला सुरक्षित रखा है।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने इस केस की लगातार सुनवाई की है और इस दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को सुना है। आज एक बार फिर से इस मामले में दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस देखने को मिली और अतिवादी संगठन पीएफआई का भी जिक्र सामने आया है।

सॉलिसिटर जनरल की ओर से इस केस में पीएफआई की साजिश होने की बात कही गई। इस पर छात्राओं के वकील दुष्यतं दवे और हुजेफा अहमदी ने ऐतराज जताया और कहा कि ऐसा कहना गलत है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पीएफआई का कोई मतलब नहीं है और उसका जिक्र करना केस को भटकाने जैसा है।

उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि इस केस में पीएफआई का भी कोई रोल है। याचियों ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह तीन तलाक और गोहत्या जैसा नहीं है। हिजाब के बारे में तो कुरान में भी जिक्र किया गया है और मुस्लिम महिलाओं के लिए इसे पहनना फर्ज माना गया है।

नागा साधुओं के क्लास में आने की भी दी गई दलील

यही नहीं छात्राओं के वकीलों ने कहा था कि मूल अधिकारों के दायरे में यह आता है। इससे किसी और की आजादी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। वहीं कर्नाटक सरकार का पक्ष रख रहे वकीलों ने कहा कि यह मामला धर्म के ऐंगल से ही नहीं देखना चाहिए।

उनका कहना था कि यह मामला तो शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य अनुशासन का है। हिजाब किसी धर्म में अनिवार्य है या नहीं, इससे स्कूल के ड्रेस कोड का कोई लेना देना नहीं है। 10 दिनों तक चली सुनवाई में वकीलों की ओर से कई दिलचस्प दलीलें सुनने को मिली थीं।

जैसे कर्नाटक सरकार के वकील ने कहा था कि यदि धर्म के आधार पर ड्रेस की इजाजत दी गई तो फिर कल को कोई नागा साधु ऐडमिशन ले सकता है और अपनी परंपरा का हवाला देकर नग्न अवस्था में ही क्लास में आ जाएगा।

नेशनल

शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

Continue Reading

Trending