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आध्यात्म

आज से शुरू हुआ हिन्दू नववर्ष, जानिए इसके पीछे का विज्ञानं और पौराणिक महत्त्व

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चैत्र का महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना माना गया है। इसी महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। हिंदू लोग इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत मानते हैं। इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 2 अप्रैल शनिवार के दिन पड़ी है। ऐसे में नए हिंदू वर्ष की शुरुआत आज ही से हो रही है। हालांकि पूरी दुनिया में 1 जनवरी से ही नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है जो कि ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार है। इसकी शुरुआत इसाई समुदाय के द्वारा क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए की गई थी लेकिन भारत में दो और कैलेंडर को मान्यता प्राप्त है इसमें से विक्रम संवत और शक संवत मुख्य हैं।

आखिर ये शक संवत और विक्रम संवत है क्या?

शक संवत की शुरुआत शक राजा कनिष्क के द्वारा 78 ईसा पूर्व में की गई। इसमें चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सोलहवीं तारीख माना गया। इसे बाद में राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में भारत में मान्यता दी गई और हिंदू धर्म के लोग इसी कैलेंडर के अनुसार इस दिन को हिंदू नववर्ष के रूप में मनाने लगे। यह केवल भारत ही नहीं नेपाल में भी प्रचलित है। हालांकि इसके साथ ही राजा विक्रमादित्य के जमाने में शुरू हुए कैलेंडर को विक्रम संवत माना गया और इसमें चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को उस महीने की पहली तारीख माना गया। जबकि इसकी गणना का विस्तार भी शक संवत की ही तरह है। बता दें कि इन दोनों कैलेंडर के बीच 135 वर्ष का अंतर आता है। ऐसे में दोनों के वर्षों को आप जब ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि कैलेंडर के वर्ष एक दूसरे से कितने भिन्न हैं।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हम किस वर्ष में कर रहे हैं प्रवेश

हिंदू नववर्ष को हम विक्रम संवत या नव संवत्सर कहते हैं। इसके बारे में पहले ही हमने आपको बताया है कि इसकी शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। ऐसे में आज से शुरू हो रहा यह नववर्ष हिंदू नववर्ष 2079 या विक्रम संवत 2079 है। इस हिंदू नववर्ष को विक्रम संवत, नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, उगाड़ी जैसे नामों से भी हम जानते हैं।

क्यों आज के दिन से ही होता है हिंदू नववर्ष शुरू

हिंदू नववर्ष की शुरुआत को लेकर जो पौराणिक मान्यता है उसकी मानें तो इसी दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचाना की थी। इसके साथ ही यह मान्यता भी है कि प्रभु श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी आज ही के दिन हुआ था। इस पूरे हिंदू कैंलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं और हर महीना 30 दिन का होता है। इस कैलेंडर की गणन सूर्य के उदय के साथ की जाती है। इस पूरे विक्रम संवत कैलेंडर में हर महीने को दो भागों में बांटा गया है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। यह कैलेंडर अंग्रेजी के कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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