उत्तर प्रदेश
लखनऊ में होगा इंडियन रोड कांग्रेस का अधिवेशन, जुटेंगे सड़क निर्माण क्षेत्र के विशेषज्ञ
लखनऊ। इंडियन रोड कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन लखनऊ में 8 से 11 अक्टूबर तक होने जा रहा है। इससे पहले उप्र में चार बार इस फंक्शन का आयोजन हो चुका है। 1987, 1985, 1995, 2011 और अब 2022 में इंडियन रोड कांग्रेस का अधिवेशन यूपी में होने जा रहा है। उप्र के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने यह जानकारी दी।
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जितिन प्रसाद ने बताया इस अधिवेशन के माध्यम से प्रदेश और देश में सड़क निर्माण के क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञ एक मंच पर आएंगे। अधिवेशन में 2500 डेलीगेट आएंगे जिसमें कुल 19 सत्र होंगे। कार्यक्रम में उप्र के 200 डेलीगेटस शामिल होंगे।
उन्होंने बताया एक सत्र केवल यूपी के लिए होगा जिसमे उत्तर प्रदेश में जो काम हो रहे हैं उसका प्रस्तुतीकरण देश-विदेश से आए हुए विशेषज्ञों के सामने रख सकेंगे। प्रदेश के अंदर नई तकनीक के माध्यम से करोड़ों रुपए की बचत की गई है। तकनीक का प्रयोग करके कार्बन का उत्सर्जन कम से कम किया गया है।
जितिन प्रसाद ने कहा इस इंडियन रोड कांग्रेस से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष 50 लाख लोग जुड़ेंगे। वन ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने का लक्ष्य मुख्यमंत्री जी ने रखा है। लक्ष्य को प्राप्त करने में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र बहुत बड़ा योगदान करने वाला है। यूपी पीडब्ल्यूडी,यूपीडा आदि के अभियन्ता अधिकारियों की भागीदारी होगी।
जितिन प्रसाद ने कहा यूपी अब एक्सप्रेस प्रदेश के नाम से जाना जा रहा है। आज सड़क सुरक्षा का मामला प्राथमिकता है। भारतीय रोड कांग्रेस में रोड सेफ्टी सबसे प्राथमिक होगा। कार्यक्रम में प्रदेश की लोककला और संस्कृति के भी दर्शन होंगे।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कार्यक्रम में रक्षामंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह को आमंत्रित किया गया है साथ ही केंद्रीय पीडब्ल्यूडी मंत्री नितिन गडकरी सहित कनेक गणमान्य अतिथि भी शामिल होंगे।
जितिन प्रसाद ने यह भी बताया डेलीगेट्स को प्रदेश के महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण भी कराया जाएगा। डेलीगेट्स अयोध्या, काशी, मथुरा, वृंदावन आदि का भ्रमण करेंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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