प्रादेशिक
सर्वोच्च प्राथमिकता से पूर्ण किए जाएं सिंचाई परियोजनाओं के कार्य: CM शिवराज चौहान
भोपाल। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों के हित में संचालित निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से पूर्ण किए जाएं। समय पर कार्य पूर्ण न करने वाली एजेसियों और जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री चौहान समत्व भवन में सीहोर और देवास जिले में क्रियान्वित की जा रही छीपानेर माइक्रो सिंचाई परियोजना के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने परियोजना के कार्यों की गति पर अप्रसन्नता व्यक्त की।
बचे कार्यों को शीघ्र पूरा करें अधिकारी
CM चौहान ने अपर मुख्य सचिव जल संसाधन को निर्देश दिए कि छीपानेर माइक्रो सिचांई परियोजना के शेष बचे 5 प्रतिशत कार्य को शीघ्र पूर्ण किया जाए। बैठक में जानकारी दी गई कि कुल 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए अब तक 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। देवास जिले के 39 और सीहोर जिले के 30 ग्रामों को परियोजना से लाभ मिलेगा।
सीएम ने की कलेक्टरों की तारीफ
मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉफ्रेंस द्वारा प्रदेश सभी जिलों के कलेक्टर्स को मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान और मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी कलेक्टर्स ने लाड़ली बहना योजना के क्रियान्वयन में अद्भुत कार्य और परिश्रम किया है। इसके लिए सभी कलेक्टर्स और अधिकारी-कर्मचारी बधाई के पात्र हैं। कहा कि लाड़ली बहना योजना में रिकार्ड समय में राशि बहनों के खातों में पहुंची है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सभी शासकीय विभागों के अधिकारियों और जिला कलेक्टर्स ने उन्हें दिया गया टास्क और दायित्व को बखूबी पूरा किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान-2 में भी सभी कलेक्टर्स और विभागों के अधिकारियों ने अच्छा काम किया।
उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले जिलों शिवपुरी, जबलपुर, रायसेन, बुरहानपुर, खंडवा, रीवा और भोपाल सहित अन्य जिलों को भी बधाई दी।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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