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पानी पूरी और महाभारत में है गहरा कनेक्शन? जानिए गोलगप्पे का इतिहास
आज हम जिस लज़ीज़ और जाएकेदार पकवान की बात करने जा रहे हैं, उसके नाम को सुनते ही आपके मूंह में पानी आ जाएगा। एक ऐसा खाना जिसके बिना हर लड़की की शॉपिंग ट्रिप अधूरी है, जिसे खाने के लिए लॉकडाउन में लोग सबसे ज्यादा परेशान थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं सबके पसंदीदा गोलगप्पे की। ये देश का सबसे मशहूर स्ट्रीट फ़ूड है।
अलग-अलग राज्यों में हैं अलग नाम
गोलगप्पे को देशभर में खूब पसंद किया जाता है। इसे अलग-अलग राज्यों में, अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मुंबई में पानी पूरी, बंगाल में पुचका, उत्तर प्रदेश में बताशा तो वहीं दिल्ली में गोलगप्पे। नाम भले ही अलग हों, पर प्यार और स्वाद हर जगह सेम है। बताशे खाते वक्त क्या कभी आपने ये सोचा है कि इसका आविष्कार आखिर किसने किया? आखिर कहां से आया है ये लाजवाब स्ट्रीट फ़ूड? आइए आपको बताते हैं इसका इतिहास।
कैसे हुई बताशे की शुरुआत ?
क्या आप जानते हैं कि महाभारत और बताशे में एक गहरा कनेक्शन है? क्यों आप भी चौंक गए ना? दरअसल, पानी पूरी की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। मगध, जो की अब बिहार के नाम से जाना जाता है, में पहली बार पानी पुरी बनाई गई थी। मान्यता है कि कुंती ने एक बार द्रौपदी की परीक्षा लेने की सोची। कुंती ने अपनी नई बहू को आटा और आलू सौंप कर कुछ नया पकवान बनाने को कहा जिससे पांडवों का पेट भर जाए। तब द्रौपदी ने दी गई सामग्री से पानी पूरी बनाई थी, जिसे खा कर पाड़व और कुंती काफी खुश हुए थे।
तबसे अब तक पानी पूरी का क्रेज बरकरार है और ना केवल भारत, पर पूरी दुनिया में इसे बड़े ही चाव से खाया जाता है।
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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश
शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।
परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।
जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।
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