जुर्म
Jahangirpuri Violence: हनुमान जयंती पर ‘दिल्ली दहलाने’ की साज़िश, भड़की हिंसा, चले पत्थर
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हनुमान जयंती के दिन निकली शोभायात्रा में बवाल हो गया। शोभायात्रा के दौरान दो पक्ष आमने-सामने आ गए और एक-दूसरे को निशाना बनाकर ईंट-पत्थर चलाए। उपद्रवी भीड़ ने पुलिस को भी नहीं बख्शा। इस घटना में छह पुलिसकर्मियों समेत कुल सात लोग घायल हो गए हैं। दिल्ली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने संदेह जताया है कि फायारिंग की गई है। एक पुलिसकर्मी फायरिंग में घायल भी हुआ है। स्थानीय लोगों के मुताबिक छह राउंड फायरिंग हुई। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। जहांगीरपुर के जिस इलाके में शोभायात्रा के दौरान शाम को उपद्रव हुआ, उस इलाके से सुबह शोभायात्रा शांतिपूर्ण तरीके से निकली थी।
जहांगीरपुरी इलाके में कल हनुमान जयंती पर शोभायात्रा के दौरान हिंसा कैसे भड़की, इसकी परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। एक पुलिस अधिकारी की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में कई अहम बातें पता चली हैं। शोभायात्रा का रूट क्या था, किस बात पर हिंसा शुरू हुई और जिस समय पथराव शुरू हुआ, शोभायात्रा कहां पहुंची थी। इस पूरे मामले में अंसार नाम के शख्स का जिक्र हो रहा है। दरअसल, जहांगीरपुरी थाने के एडिशनल एसएचओ राजीव रंजन की शिकायत पर FIR दर्ज की गई है। वह खुद कल शाम को घटनास्थल पर मौजूद थे।
FIR के मुताबिक हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में एक पक्ष द्वारा शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शाम सवा 4 बजे शोभायात्रा शुरू हुई थी। ईई ब्लॉक से शुरू होकर बाबू जगजीवन राम अस्पताल रोड से होते हुए महिंद्रा पार्क पर समाप्त होनी थी। शाम 6 बजे शोभायात्रा जामा मस्जिद के पास पहुंची तभी अंसार नाम का शख्स अपने 4-5 साथियों के साथ आया और शोभायात्रा में शामिल लोगों से बहस करने लगा।ये वह समय है जब लोग इफ्तार से पहले नमाज अदा करने जा रहे थे। झड़प की शुरुआत मस्जिद से ठीक पहले हुई. जब ये शोभायात्रा मस्जिद के करीब पहुंची, लोग नारे लगाने लगे और तेज आवाज में म्यूजिक बजाया जाने लगा. झगड़ा बढ़ा और पथराव शुरू हो गया। इसके बाद शोभायात्रा में भगदड़ मच गई।
आरोप ये भी है कि मस्जिद के अंदर भगवा झंडा लगाने की भी कोशिश की गई.वहीं दूसरे पक्ष ने इन आरोपों को साफ-साफ खारिज किया है। दूसरे पक्ष का कहना है कि हर जगह शोभायात्रा को टारगेट किया गया। बताया गया है कि अंसार इसी इलाके का रहने वाला है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके खिलाफ पहले से भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। हालात संभालने के लिए सीनियर अधिकारियों ने शांति कायम करने की अपील की गई लेकिन एक पक्ष द्वारा लगातार पत्थरबाजी की जा रही थी। ऐसे में हालात काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के 50 गोले छोड़ने पड़े जिससे भीड़ को तितर-बितर किया जा सके। भीड़ की तरफ से पुलिस पर पथराव और फायरिंग की गई। गोली लगने से एसआई मेदालाल जख्मी हो गए हैं। उनकी हालत खतरे से बाहर है।
क्या अंसार ही हिंसा का मास्टरमाइंड था, या उसके पीछे कोई और था? यह सवाल भी उठ रहा है। दरअसल, इस हिंसा में डंडों, बंदूक और तलवारों का इस्तेमाल किया गया है, ऐसे में किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। स्थानीय प्रत्यदर्शी ने बताया कि सवा छह बजे हनुमान जयंती की झांकी निकल रही थी, चौक पर पहुंची तो असामाजिक लोगों की वजह से पत्थरबाजी की गई। शोभायात्रा में शामिल एक युवक ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘ऊपर से पत्थर फेंके जा रहे थे। अंसार ने ही यह सब करवाया है। वह इलाके का दबंग बनता है। हम तो सीधे उसका नाम ले रहे हैं। उसे पकड़ेंगे तो सब पता चल जाएगा। उसने पिस्टल भी ले रखी थी।’
जहांगीरपुरी काफी सघन बस्ती वाला इलाका है। यहां कदम-कदम पर दुकानदारों और सड़कों पर सीसीटीवी लगे हैं। ऐसे में समझा जा रहा है कि सीसीटीवी फुटेज से उपद्रवियों की शिनाख्त आसान हो जाएगी। रविवार सुबह तक मुख्य आरोपी अंसार समेत 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की 10 टीमें बनाई गई हैं।
उत्तर प्रदेश
मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट
कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।
इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।
मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।
संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।
संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को
अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।
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