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प्रादेशिक

शुरू होने जा रहा है BJP का ‘बूथ विजय’ अभियान, जेपी नड्डा करेंगे शुभारंभ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है। इसके साथ ही ज़मीनी स्तर पर काम करना भी शुरू कर दिया है। यही नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 11 सितंबर को बूथ विजय अभियान का वर्चुअली शुभारंभ करेंगे जिसमें बड़े पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।

बता दें कि नड्डा 27,700 शक्ति केंद्रों पर मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीति बताएंगे। इससे पहले कुछ बूथों को मिलाकर सेक्टर बनाए जाते थे, लेकिन अब 5 से 6 बूथ मिलाकर एक शक्ति केंद्र प्रमुख बनाए गए हैं। जिसे अब नया नाम शक्ति केंद्र दिया गया है। इस अभियान के तहत लोगों को सरकार की नीतियों को समझाने के साथ मतदान के दिन वोटर्स को मतदान केंद्र तक ले जाने की जिम्मेदारी कार्यकर्ता निभाएंगे।

इस दौरान पार्टी के सभी पड़े पदाधिकारी इस बूथ विजय अभियान में हिस्सा लेंगे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस अभियान में शामिल होंगे। इसके अलावा दोनों उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और डॉ दिनेश शर्मा भी बूथ विजय अभियान केशुभारंभ के अवसर पर अपने-अपने शक्ति केंद्र पर मौजूद रहेंगे।

बता दें कि बूथ विजय अभियान की शुरुआत के मौके पर प्रदेश के सभी शक्ति केंद्रों पर बूथ सत्यापन अधिकारी, शक्ति केंद्र प्रभारी, शक्ति केंद्र संयोजक, बूथ अध्यक्ष और बूथ समिति के सदस्य उपस्थित रहेगें। साथ ही उस शक्ति केंद्र के अन्तर्गत निवास करने वाले सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि व पार्टी पदाधिकारी भी उपस्थित रहेगें। इसके अलावा पार्टी द्वारा बूथ विजय अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम का लाइव प्रसारण के भी प्रबंध किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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