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करियर

कैजाद भरूचा व भावेश झावेरी HDFC BANK में नियुक्त, RBI ने दी मंजूरी  

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Kaizad Bharucha and Bhavesh Jhaveri

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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 अप्रैल 2023 से तीन साल की अवधि के लिए एचडीएफसी बैंक के उप प्रबंध निदेशक के रूप में कैजाद भरूचा और बैंक के कार्यकारी निदेशक के रूप में भावेश झावेरी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। उपर्युक्त नियुक्तियों को प्रभावी करने के लिए अन्य बातों के साथ-साथ बैंक के निदेशक मंडल की बैठक नियत समय पर बुलाई जाएगी।

कैज़ाद भरूचा की संक्षिप्त प्रोफ़ाइल

कैज़ाद भरूचा 35 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ एक करियर बैंकर हैं। वह 1995 से बैंक से जुड़े हुए हैं। कार्यकारी निदेशक के रूप में अपनी वर्तमान स्थिति में, वे कॉर्पोरेट बैंकिंग, पीएसयू, पूंजी और कमोडिटी बाजार, वित्तीय संस्थानों, हिरासत, म्युचुअल फंड, वैश्विक क्षमता केंद्र और वित्तीय के क्षेत्रों को कवर करने वाले थोक बैंकिंग, प्रायोजक कवरेज, और बैंक कवरेज के लिए जिम्मेदार हैं।

कार्यकारी निदेशक के रूप में अपने पहले के पद पर वे कॉर्पोरेट बैंकिंग, उभरते कॉर्पोरेट समूह, व्यवसाय बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा वित्त, कृषि ऋण, ट्रैक्टर वित्तपोषण, वाणिज्यिक वाहन वित्त, वाणिज्यिक उपकरण वित्त, बुनियादी ढांचा वित्त, विशेष संचालन विभाग और समावेशी बैंकिंग के लिए जिम्मेदार थे। पहल समूह। बैंक में वे प्रमुख परिचालन समितियों में कार्यरत हैं। वह नामित निदेशक, वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) और नामित निदेशक, आंतरिक लोकपाल समिति भी हैं।

भरूचा के पास रिस्क मैनेजमेंट, क्रेडिट मैनेजमेंट, बैंकिंग और बिजनेस मैनेजमेंट का समृद्ध और व्यापक अनुभव है। भरूचा पहले एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज लि. और इंटरनेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्रा.लि. के बोर्ड में रह चुके हैं।

बैंक में शामिल होने से पहले उन्होंने ट्रेड फाइनेंस और कॉर्पोरेट बैंकिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में एसबीआई कमर्शियल और इंटरनेशनल बैंक में काम किया। उन्होंने बाहरी बैंकिंग संबंधी समितियों में भी बैंक का प्रतिनिधित्व किया है।

भावेश झावेरी की संक्षिप्त रूपरेखा

भावेश झावेरी एचडीएफसी बैंक के समूह प्रमुख-संचालन, नकदी प्रबंधन और एटीएम उत्पाद हैं। अपनी वर्तमान भूमिका में वे देश भर में व्यापार और संचालन के लिए जिम्मेदार हैं और बैंक के विविध उत्पाद सूट में कॉरपोरेट, एमएसएमई और रिटेल वर्टिकल के लिए एसेट, देनदारियों और लेनदेन के लिए एक निर्दोष संचालन निष्पादन क्षमता बनाने और वितरित करने के लिए जिम्मेदार हैं।

भुगतान और नकद प्रबंधन, व्यापार वित्त और खजाना, और एटीएम उत्पाद की सेवाएं। उनके पास 36 से अधिक वर्षों का समग्र अनुभव है और उन्होंने बैंक में संचालन, नकदी प्रबंधन और प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण कार्यों का नेतृत्व किया है।

झावेरी 1998 में परिचालन समारोह में बैंक में शामिल हुए। वह वर्ष 2000 में बिजनेस हेड-होलसेल बैंकिंग ऑपरेशंस बने और 2009 में उन्हें ग्रुप हेड-ऑपरेशंस के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 2015 में सूचना प्रौद्योगिकी समारोह की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली।

ग्रुप हेड-आईटी के रूप में अपनी पिछली भूमिका में उन्होंने योगदान दिया है। परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाकर बैंक का डिजिटल परिवर्तन जिसके परिणामस्वरूप बैंक के विभिन्न उत्पाद प्रस्तावों में ग्राहक अनुभव में सुधार हुआ है।

उन्होंने आरबीआई की आंतरिक भुगतान परिषद की बैठक में भी भाग लिया है और 2004 की भुगतान समिति के लिए अंब्रेला संगठन का हिस्सा थे, जिसके कारण भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) का गठन हुआ।

वह SWIFT Scrl ब्रसेल्स ग्लोबल बोर्ड, ब्रसेल्स में भारत से एकमात्र निर्वाचित भारतीय हैं। उन्हें ग्लोबल ट्रेड रिव्यू द्वारा “हूज़ हू इन ट्रेजरी एंड कैश मैनेजमेंट” में दो बार चित्रित किया गया है। वह भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ द्वारा गठित विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे हैं।

उन्होंने भारतीय समाशोधन निगम, एचडीएफसी सिक्योरिटीज लिमिटेड, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड और स्विफ्ट इंडिया प्रा. लि. के बोर्ड में भी काम किया है। बैंक में शामिल होने से पहले, जावेरी ने ओमान इंटरनेशनल बैंक और बार्कलेज बैंक के लिए काम किया।

उनके पास मुंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य में मास्टर डिग्री है और वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स के सर्टिफाइड एसोसिएट हैं।

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उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- नौकरी भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में जमकर प्रदर्शन किया। लोकसेवा आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्कामुक्की भी हुई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में का हिस्सा नहीं है।

उन्होंने कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हो चुका है। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर यही है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश ने कहा कि उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा। नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार। भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए।

सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।

उन्होंने कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवार वाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बांटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकारकर ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।

अखिलेश ने कहा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।

उन्होंने कहा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं। आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’ क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं। जिस समय छात्रों की आवाज में आवाज मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता की मलाई। सपा प्रमुख ने कहा कि नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है। जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।

 

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