Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

कुनो नेशनल पार्क की ‘आशा’ ने जगाई आशा, जन्म लेंगे नन्हे शावक

Published

on

कुनो नेशनल पार्क

Loading

ग्‍वालियर (मप्र)। देश में करीब 70 साल बाद अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को मप्र के कुनो नेशनल पार्क छोड़ा गया। 1952 के बाद विलुप्त हुई चीतों की प्रजाति के अब भारत भूमि पर बढ़ने उम्मीद बंध गई है। इन 8 चीतों में पांच मादा व तीन नर है, अब इन्ही मादा चीतों में से एक ‘आशा’ गर्भवती है।

कुनो नेशनल पार्क से गुड न्यूज आई है। मादा चीता आशा ने गर्भवती होकर इस प्रोजेक्‍ट की सफलता की पहली उम्‍मीद बांध दी है। चीतों की निगरानी करने वाली टीम के अधिकारियों के मुताबिक, आशा में एक गर्भवती मादा चीता वाले सभी लक्षण दिख रहे हैं। आशा की उम्र साढ़े तीन साल बतायी गई है।

यह भी पढ़ें

सत्येंद्र जैन की याचिका ख़ारिज, निचली अदालत के आदेश को दी थी चुनौती

लता जी के भजनों में उनका कंठ ही नहीं, आस्था, आध्यात्मिकता और पवित्रता भी है गूंजती: पीएम मोदी

नामीबिया से चीतों को भारत लाने में अहम भूमिका निभाने वाले चीता संरक्षण कोष के प्रमुख लॉरी मार्कर ने भी ऐसे संकेत दिए हैं। मार्कर ने बताया, चूंकि आशा नामीबिया में एक प्राकृतिक जंगली वातावरण में रहती थी, इसलिए उसने नामीबिया में ही गर्भधारण किया होगा।

मार्कर के अनुसार, आशा को गर्भकाल के दौरान पूरी तरह से शांत वातावरण की आवश्यकता होगी। लोगों को उसके आसपास जाने से रोका जाएगा। ताकि उसका तनाव कम हो सके और वह अच्छे चीतों को जन्म दे सके।

17 सितंबर को कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए थी चीते

गौरतलब है कि 17 सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के जन्‍मदिवस पर को 8 चीतों को मप्र के श्योपुर के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने ही मादा चीता को आशा नाम दिया था।

आशा के गर्भवती होने से आशा की किरण नजर आने लगी है। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तर साल बाद देश में चीते जन्‍म लेंगे। नन्‍हें चीतों के आगमन के लिए कुनो नेशनल पार्क भी पूरी तरह से तैयार है।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

Published

on

Loading

संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

Continue Reading

Trending