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उत्तर प्रदेश

शाहजहांपुर में तेंदुए का आतंक, रेस्क्यू टीम के सामने से निकला बेखौफ तेंदुआ

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विगत तीन दिन से क्षेत्र में जंगली जानवर की मुवमेंट बनी हुई है। वन विभाग इसे लक्कड़बग्घा मान रहा था, लेकन अपनी आंखों से जानवर को देख चुके ग्रामीण इसे तेंदुआ बता रहे थे। जिसे वन विभाग मानने को तैयार नहीं था, लेकिन बुधवार को वन विभाग के रेस्क्यू दल के भ्रमण के दौरान ग्राम देवलाबिहार में रेस्क्यू दल के पास से ही तेंदुआ गुजर गया। इसके बाद वन विभाग ने तेंदुआ होने की बात को स्वीकार किया है। इस मामले में ग्रामीणों की बात सच साबित हुई।

गौरतलब है कि रविवार की रात से ही इस क्षेत्र में तेंदुए के होने के लगातार प्रमाण मिल रहे थे। कभी तेंदुआ हिरण को शिकार कर रहा था तो कभी किसी अन्य जानवर को निशाना बना रहा था। इसकी सूचना गांव वालों ने वन विभाग को भी दी थी, लेकिन वन विभाग ने जो पगमार्क लिए थे उसे लक्कड़बग्घे होने की आशंका जताई जा रही थी। जबकि गांव वालों का दावा था कि उन्होंने अपने खेत मे तेंदुए को देखा है। जब ग्रामीणों ने अमले के सामने पूरी तरह दावा किया कि गांव में तेंदुआ है और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसके बारे में सूचना देकर सहायता की मांग की तो अधिकारियों ने रेस्क्यू दल को निर्देशित किया कि वे संबंधित गांवों के अलावा आसपास भी सर्चिंग करेे।

इस पर बुधवार को डिप्टी रेंजर नवनीत चौहान सहित वन विभाग के अधिकारियों ने आसपास के गांव में भी सर्चिंग की। शाम को जब विभागीय अधिकारी गांव देवला बिहार पहुंचे तब उनकी भी गलत फहमी दूर हुई और डिप्टी रेंजर नवनीत चौहान और उनके साथ अमले ने अपने पास से तेंदुए को गुजरते हुए देखा। इसके बाद इस संबंध में अधिकारियों को सूचना दी। जिसके बाद से तेंदुए को सुरक्षित पकडक़र ग्रामीणों को राहत दिलाने का काम शुरू किया गया।

वन विभाग ने तेंदुए की पुष्टि होने के बाद अब गांव में डेरा डाल दिया है। विभाग द्वारा तेंदुए को पकडऩे के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। गांव वालों को विभागीय अधिकारियों ने हिदायत दी है कि वे भीड़ न लगाएं ओर अपने घरों में रहें। फिलहाल खेतों पर न जाएं और सभी को इसकी सूचना दें ताकि वह किसी को कोई नुकसान न पहुंचा सके।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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