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उत्तर प्रदेश

अब माफ़ी मांग रहा है ‘गालीबाज’ नेता श्रीकांत त्यागी, पीड़ित महिला को कहा बहन

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लखनऊ/नोएडा। नोएडा के सेक्टर 92 की ग्रैंड ओमैक्स सोसायटी में एक महिला से अभद्र व्यवहार व गुंडई करने वाले ‘गालीबाज’ नेता श्रीकांत त्यागी अब ठंडा पड़ गया है। पुलिस गिरफ्त में आने के बाद उसकी पूरी हेकड़ी निकल गई है और शरीफों की तरह बातें करने लगा है।

चार दिन बाद नोएडा पुलिस के हत्थे चढ़े त्यागी ने कहा है कि उसे अपनी गलती का अहसास है और वह उस महिला से माफी मांगने को तैयार है। पीड़ित महिला को अब अपनी ‘बहन’ बता रहे त्यागी ने कहा है कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किसी को किसी महिला के खिलाफ नहीं करनी चाहिए। त्यागी ने अपनी गलती मानी और कहा कि वह माफी मांगने को तैयार है।

उसने कहा, ”समाज में महिलाओं को सम्मान की नजर से देखा जाता है। निश्चित तौर पर मुझसे गलती हुई। यह गलती मुझसे हुई. इसके लिए मुझे माफी मांगनी पड़े तो मैं अभी ऐसा करने को तैयार हूं। मैंने आवेश में आकर जो मैंने अभद्र तरीके से बोल दिया। मुझे भी अंदर ही अंदर अहसास हुआ कि किसी से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल जीवन मे में किसी के लिए नहीं करना चाहिए।”

प्राइम लोकेशन चार्ज देने की दलील

उस दिन हुए विवाद को लेकर श्रीकांत ने कहा कि जिस जगह 15 पाम ट्री लगे हुए थे वह एक एरिया है जो बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से परचेज किया था और इसके प्राइम लोकेशन चार्ज लेकर फ्लैट बायर्स को बेचा था। 2013-14 में जब रजिस्ट्री कराई तो उसमें इसका जिक्र है। 5 फीसदी पीएलसी लेकर बालकनी के सामने ग्रीन एरिया दिया गया था।

योगी सरकार की सख्ती से निकली गर्मी

दरअसल, अब तक राजनीतिक धौंस दिखाकर लोगों को डराते-धमकाते आ रहे श्रीकांत को इस तरह अपने खिलाफ सख्ती का अनुमान नहीं था। जिस तरह योगी सरकार ने उसके खिलाफ बुलडोजर ऐक्शन का आदेश दिया और ईनाम घोषित करते हुए 12 टीमें लगा दीं, उसके बाद ना सिर्फ सरकार ने काफी हद तक डैमेज कंट्रोल किया बल्कि यह संदेश देने में भी कामयाब रही है कि उसका बुलडोजर सबके खिलाफ गरजता है।

उत्तर प्रदेश

गरीब बच्चों को बड़े स्कूलों में प्रवेश दिला रही योगी सरकार, प्रथम चरण में 1.32 लाख से अधिक आवेदन आए

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लखनऊ |  उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सरकार के ‘मिशन शिक्षा’ के तहत, गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर प्रदान करने के लिए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। इसका परिणाम यह है कि आवेदन प्रक्रिया के प्रथम चरण (01 दिसंबर से 19 दिसंबर) के दौरान 1.32 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।

ज्ञातव्य हो कि योगी सरकार इस वर्ष यह प्रयास कर रही है कि किसी भी गरीब बच्चे की पढ़ाई में एक दिन भी देरी न हो और उसे समय से स्कूल में प्रवेश दिलाकर अप्रैल के पहले दिन से ही उसकी नियमित पढ़ाई शुरू करा दी जाए। इस प्रथम चरण में वंचित और अलाभित परिवारों के अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक आवेदन किया है, जिनमें सर्वाधिक आवेदन वाराणसी (10,278), लखनऊ (8,714) और कानपुर नगर (8,276) से प्राप्त हुए हैं। अब सरकार ने इन आवेदनों के सत्यापन कार्य में तेजी लाकर बच्चों को उनके अधिकार शीघ्र प्रदान करने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया है। योगी सरकार के इस ऐतिहासिक कदम से उत्तर प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में एक नई उम्मीद और परिवर्तन की लहर दौड़ रही है, जिससे हर बच्चे के लिए शिक्षा का दरवाजा खुल रहा है।

19 दिसंबर तक आये सर्वाधिक आवेदन की स्थिति

सभी जिलों से प्राप्त हुए कुल 1,32,446 आवेदनों में जिन जिलों से सर्वाधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, उनमें शीर्ष पर वाराणसी (10,278) है, जबकि दूसरे स्थान पर लखनऊ (8,714) है। इसी प्रकार तीसरे स्थान पर कानपुर नगर (8,276), चौथे स्थान पर अलीगढ़ (4,880) और पांचवें स्थान पर आगरा (4,626) ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।

सरकार ने दिये हैं निर्देश

इसके साथ ही बीईओ और बीएसए स्तर पर लंबित आवेदनों को लेकर सरकार ने जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर बच्चों के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं। सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि 23 दिसंबर को पोर्टल स्वतः बंद हो जाएगा, इसलिए अधिकारी 22 दिसंबर तक सर्वोच्च प्राथमिकता पर आरटीई आवेदन सत्यापन को रखते हुए आवेदनों का सत्यापन कार्य पूर्ण करें।

चार चरणों में दिया जा रहा मौका

बच्चों का समय पर नामांकन सुनिश्चित करने के लिए सत्र 2025-26 के लिए 4 चरणों में आवेदन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है, जो क्रमशः 1 दिसंबर, 1 जनवरी, 1 फरवरी और 1 मार्च से उस महीने की 19 तारीख तक चलाई जा रही है। पहले चरण में आवेदनों की संख्या आने के बाद उनके सत्यापन का कार्य गतिशील है, जबकि शेष चरणों में आने वाले प्रार्थना पत्रों के बाद निर्धारित समय से सत्यापन कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।

पिछले सत्रों में यह रही स्थिति

शैक्षिक सत्र 2022-23 में 71,214 बच्चों के मुकाबले सत्र 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत 1,14,196 बच्चों का प्रवेश गैर सहायतित मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में कराया गया था, जो कि एक बड़ा उछाल था। इसके अतिरिक्त, सत्र 2024-25 तक राज्य भर के 5 लाख से अधिक बच्चे निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बता दें कि इन दो वित्तीय वर्षों में योगी सरकार ने 436 करोड़ रुपये की फीस प्रतिपूर्ति का भुगतान किया था और विद्यालयों को गरीब बच्चों को बिना किसी बाधा के प्रवेश देने में सहायता मिली थी।

सरकार का प्रयास-बच्चों के प्रवेश में न हो देरीः संदीप सिंह

योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि आरटीई के तहत प्रत्येक चरण के लिए लॉटरी और नामांकन की तारीखें तय हैं। जिला प्रशासन भी सहयोग कर रहा है, जिससे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक दस्तावेजों की सुविधा प्रदान कर नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि किसी भी बच्चे के प्रवेश में देरी न हो और वह समय से अपनी नियमित पढ़ाई शुरू कर सके। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों के नामांकन के लिए आवश्यक दस्तावेजों को समय से तैयार करा लें और आवेदन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, सभी अभिभावक इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाने में सरकार का सहयोग करें।

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