उत्तर प्रदेश
बृजभूषण सिंह के समर्थन पर युवक को पीटा, ट्रेन में लादकर भेज दिया गोंडा; मौत
गोंडा/आरा। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निर्वतमान अध्यक्ष व सांसद बृजभूषण शरण सिंह का समर्थन करने पर बिहार के आरा जिले में टोल प्लाजा पर तैनात सुपरवाइजर बलवंत सिंह की हरियाणा के बाउंसरों ने पिटाई कर दी। इसके बाद उसे ट्रेन में बैठा दिया।
लखनऊ मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान सुपरवाइजर की मौत हो गई। पिटाई का वीडियो प्रसारित होने के बाद पिता ने छह लोगों के खिलाफ तहरीर दी है। एफआइआर की मांग को लेकर स्वजनों ने थाने में शव रखकर प्रदर्शन किया।
गोंडा के मनिकापुर पहाड़ापुर गांव के प्रदीप सिंह ने बताया कि उसके चाचा बलवंत सिंह बिहार के आरा जिले के कोईलावर के कुल्हरिया टोल प्लाजा पर सुपरवाइजर थे। शनिवार को वह ट्रेन से गोंडा आ रहे थे, रास्ते में हालत बिगड़ गई।
ट्रेन के मनकापुर रेलवे स्टेशन पहुंचने पर यात्रियों की सूचना पर पहुंचे निरीक्षक आरपीएफ उदयराज ने उन्हें निजी अस्पताल पहुंचाया। यहां से उन्हें मेडिकल कालेज लखनऊ रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान बलवंत की मौत हो गई।
प्रदीप के मुताबिक, वह चाचा के शव को घर ले आए और अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच उसके चाचा की पिटाई का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ जिसमें कुल्हरिया टोल प्लाजा के प्रबंधक के बाउंसर उसके चाचा की बेरहमी से पिटाई कर रहे हैं।
वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
प्रदीप ने बताया कि जब टोल प्लाजा पर चाचा के सहकर्मियों से बातचीत की गई तो पता चला कि वहां शनिवार को टोल प्लाजा के प्रबंधक से सांसद बृजभूषण सिंह पर लगे आरोपों पर उसके चाचा की बातचीत हो रही थी।
जिस पर उसके चाचा ने सांसद का समर्थन किया तो टोल प्लाजा प्रबंधक के बाउंसर उसके चाचा को एक मकान में उठा ले गए और चोरी का आरोप लगाकर पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। प्रदीप के मुताबिक, बाउंसरों ने पिटाई के बाद उसके चाचा को गोंडा आने वाली ट्रेन में लाद दिया।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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