उत्तर प्रदेश
देवरिया हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश, सीएम बोले- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
देवरिया। उप्र का देवरिया जिला नरसंहार से थर्रा गया। जमीन का विवाद ऐसा बढ़ा कि देखते ही देखते छह लोगों की हत्या हो गई है। इन छह में से तो पांच एक ही परिवार के सदस्य हैं। सोमवार की सुबह देवरिया में एक घर से पांच लोगों की लाश निकली। ये पांचो एक ही घर के सदस्य हैं और इनका मुखिया था सत्यप्रकाश दुबे। अब ये नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत ही एक हत्या से हुई। जमीन को लेकर हुए इस विवाद में पहल सत्यप्रकाश दुबे ने ही की। पुलिस के अनुसार ग्राम पंचायत फतेहपुर के रहने वाले सत्य प्रकाश दुबे और प्रेमचंद यादव के बीच उनके भाई की जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ।
प्रेमचंद जब सत्यप्रकाश दुबे के घर पहुंचे तो विवाद ऐसा बढ़ा कि इन्होंने लोगों के साथ मिलकर प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी। सत्यप्रकाश दुबे ने ईंट से मारकर प्रेमचंद यादव को मौत के घाट उतार दिया। घटना की जानकारी प्रेमचंद यादव के घर वालों को हुई। दूसरे टोले से ललकारते हुए प्रेमचंद के घर के लोग सत्य प्रकाश दुबे के दरवाजे पर पहुंचे।
सभी लोग घर में दरवाजा बंद कर छुप गए थे लेकिन आक्रोशित लोग दरवाजा तोड़कर घर के अंदर घुस गए। घर में सभी की बारी-बारी से धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी। मृतकों में एक ही परिवार के पांच लोग शामिल हैं। प्रेमचंद यादव पूर्व जिला पंचायत सदस्य थे।
पांच लोगों को मारकर लिया प्रतिशोध
प्रेमचंद के घर वालों में बदला लेने की ऐसी भावना थी कि पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसमें सत्य प्रकाश दुबे तथा उनकी पत्नी किरण दुबे एवं पुत्री सलोनी, नंदिनी के अलावा पुत्र गांधी दुबे शामिल हैं।
जमीन का था विवाद
दरअसल, ये पूरा मामला जमीन विवाद का है। सत्यप्रकाश दुबे के भाई साधु दुबे ने कुछ दिन पहले अपने हिस्से की करीब 10 बीघा भूमि गांव के दूसरे टोले के रहने वाले पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव को बेच दी थी। भूमि बेचने के बाद वह प्रेमचंद यादव के घर रहते थे। तीन माह पहले साधु दुबे गुजरात चले गए। इसके बाद सत्यप्रकाश दुबे अपने भाई की जमीन देखने पहुंच गए और फिर यहीं से विवाद शुरू हो गया।
एक्शन में सीएम योगी
देवरिया में हुए इस खूनी संघर्ष पर अब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्शन के आदेश दे दिए हैं। सीएम योगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जनपद देवरिया की दुर्भाग्यपूर्ण घटना अत्यंत दुःखद एवं निंदनीय है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। एडीजी/ कमिश्नर/आईजी को मौके पर पहुंचकर कठोरतम कार्यवाही तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। इस घटना के दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
देवरिया में हुए इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश दहल गया है। इस हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोग योगी राज में हुए इस हत्याकांड को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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