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पीएम मोदी ने मेरठ में मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय का किया शिलान्यास

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लखनऊ। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज जनपद मेरठ मंे मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। 700 करोड़ रुपये की लागत के इस विश्वविद्यालय का निर्माण 91.38 एकड़ क्षेत्रफल में किया जाएगा। इस अवसर पर मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय पर केन्द्रित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जी का स्वागत स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।

प्रधानमंत्री जी ने कार्यक्रम मंच पर पहुंचने से पूर्व राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर देश व प्रदेश का मान बढ़ाने वाले राज्य के खिलाड़ियों से संवाद किया। उन्होंने मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय के मॉडल तथा जनपद मेरठ में उत्पादित खेल के सामानों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस दौरान उन्होंने एक स्टॉल पर एक्सरसाइज मशीन का इस्तेमाल करके भी देखा।

प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में वर्ष 2022 के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि साल की शुरुआत मंे मेरठ आना उनके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। भारत के इतिहास में मेरठ एक शहर मात्र नहीं, हमारी संस्कृति और सामर्थ्य का महत्वपूर्ण केन्द्र भी है। रामायण, महाभारत से लेकर जैन तीर्थंकरों और पंचप्यारों तक मेरठ ने देश की आस्था को ऊर्जावान किया। सिन्धु घाटी की सभ्यता से देश के पहलेे स्वाधीनता संग्राम तक इस क्षेत्र ने दुनिया को भारत का सामर्थ्य दिखाया। वर्ष 1857 मंे बाबा औघड़ मन्दिर से उठी ललकार, ‘दिल्ली कूच’ के आह्वान ने देश को नई रौशनी दिखाई। इसी प्रेरणा से हम आजाद हुए और आज गर्व से अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में आने से पहले वे बाबा औघड़नाथ मन्दिर तथा अमर जवान ज्योति गये। स्वाधीनता संग्राम संग्रहालय में उस अनुभूति को महसूस किया, जो देश आजादी के लिए कुछ कर गुजरने वालों को प्रेरणा देेती थी।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मेरठ के इस क्षेत्र ने स्वतंत्र भारत को एक नई दिशा देने का कार्य किया। राष्ट्र रक्षा के लिए बलिदान हो या खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान, इस क्षेत्र ने सदा सर्वदा राष्ट्रभक्ति की अलख को प्रज्ज्वलित रखा है। नूरपुर मड़ैया ने चौधरी चरण सिंह जी के रूप में देश को एक विज़नरी नेतृत्व दिया। मेरठ मेजर ध्यानचन्द की भी कर्मस्थली रहा है। कुछ महीने पहले केन्द्र सरकार ने देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम दद्दा के नाम पर कर दिया। आज मेरठ की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मेजर ध्यानचन्द को समर्पित की जा रही है। खेल विश्वविद्यालय से मेजर ध्यानचन्द का नाम जुड़ जाने से उनका पराक्रम तो प्रेरणा देता ही है, उनके नाम मंे ध्यान शब्द भी एक संदेश देता है, बिना ध्यान केन्द्रित किये भी सफलता नहीं मिलती। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस यूनिवर्सिटी में पूरे ध्यान से कार्य करने वाले नौजवान देश का नाम रोशन करेंगे।
प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश के नौजवानों को राज्य की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के लिए बधाई देते हुए कहा कि 700 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह आधुनिक यूनिवर्सिटी दुनिया की श्रेष्ठ स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी होगी। यहां युवाओं को खेल से जुड़ी अन्तर्राष्ट्रीय सुविधाएं मिलेंगी। यह यूनिवर्सिटी कैरियर के रूप में स्पोर्ट्स को अपनाने के लिए स्किल्स का निर्माण करेगी। यहां हर साल एक हजार से अधिक बेटे-बेटियां बेहतरीन खिलाड़ी बनकर निकलेंगे। क्रांतिवीरों की यह नगरी खेल वीरों की नगरी के रूप में अपनी पहचान को और सशक्त करेगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में अपराधी व माफिया अपना खेल खेलते थे। बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुले आम घूमते थे। लोग पलायन को मजबूर थे। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ऐसे अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है। 05 साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद घर से निकलने से डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। यहां के सोतीगंज में होने वाले खेल का द एण्ड हो रहा है। अब असली खेल को उत्तर प्रदेश में बढ़ावा मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को छा जाने का मौका मिल रहा है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पहले कहा जाता था कि ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः’ अर्थात जिस पथ पर महान विभूतियां चलें, वही हमारा पथ है। 21वीं सदी के नये भारत में सबसे बड़ा दायित्व युवाओं के पास है। 21वीं सदी का मत है कि ‘युवाजनो येन गतः स पन्थाः’ अर्थात जिस मार्ग पर युवा चले दें, वही देश का मार्ग है। जिधर युवाओं के कदम बढ़ जाएं, मंजिल चरण चूमने लग जाती है। युवा नये भारत का कर्णधार भी है और विस्तार भी है। युवा नये भारत का नियंता भी है और नेतृत्वकर्ता भी है। हमारे युवाओं के पास प्राचीनता की विरासत भी है और आधुनिकता का बोध भी है। इसलिए जिधर युवा चलेगा, उधर भारत चलेगा, जिधर भारत चलेगा, उधर ही अब दुनिया चलने वाली है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज साइंस के लेकर साहित्य तक, स्टार्टअप से लेकर स्पोर्ट्स तक भारत के युवा ही छाये हुए हैं। खेल की दुनिया में आने वाले हमारे युवा पहले भी सामर्थ्यवान थे। उनकी मेहनत में कमी नहीं थी। हमारे देश में खेल संस्कृति भी बहुत समृद्ध रही है। हमारे गांवों में हर उत्सव, हर त्योहार में खेल एक अहम हिस्सा रहता है। पहले की सरकार की नीतियांे की वजह से खेल और खिलाड़ियों की तरफ देखने का नजरिया बहुत अलग रहा। शहर के किसी युवा द्वारा अपनी पहचान खिलाड़ी के रूप में बताने पर पूछा जाता था कि वह काम क्या करता है। गांव का युवा अपने को खिलाड़ी बताता तो लोग सोचते कि फौज या पुलिस में नौकरी के लिए खेल रहा होगा। यानी खेलों के प्रति सोच और समझ का दायरा बहुत सीमित हो गया था।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि समाज की इस सोच को बदलने का दायित्व सरकारों का था। खेलों के प्रति बढ़ती बेरुखी के परिणामस्वरूप हॉकी के जिस खेल में गुलामी के कालखण्ड में भी मेजर ध्यानचन्द जी जैसी प्रतिभाओं ने देश को गौरव दिलाया, उसमें भी मेडल के लिए हमें दशकों का इन्तजार करना पड़ा। हॉकी प्राकृतिक मैदानों से एस्ट्रोटर्फ तक पहुंच गयी, लेकिन हम वहीं के वहीं रहे। हॉकी एक उदाहरण है, यह हर खेल की कहानी थी। बदलती टेक्नोलॉजी, डिमाण्ड, स्किल्स के लिए पहले की सरकारें बेहतरीन ईको सिस्टम तैयार ही नहीं कर पायीं। वर्ष 2014 के बाद हमारी सरकार ने हर स्तर पर रिफॉर्म किये। खिलाड़ियों के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने खिलाड़ियों को चार शस्त्र दिये हैं। खिलाड़ियों को चाहिए – संसाधन, टेªनिंग की आधुनिक सुविधाएं, अन्तर्राष्ट्रीय एक्सपोजर, चयन में पारदर्शिता। हमारी सरकार ने बीते वर्षाें में भारत के खिलाड़ियों को यह चार शस्त्र जरूर मिलें, इसे सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमने खेल को युवाओं की फिटनेस, रोजगार, स्वरोजगार, उनके कैरियर से जोड़ा है। टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम यानी ‘टॉप’, ऐसा ही एक प्रयास रहा है। आज सरकार देश के शीर्ष खिलाड़ियों को उनके खाने, पीने, फिटनेस से लेकर टेªनिंग तक लाखों-करोड़ों रुपये की मदद दे रही है। ‘खेलो इण्डिया’ अभियान के माध्यम से आज बहुत कम उम्र मंे ही देश के कोने-कोने में टैलेंट की पहचान की जा रही है। ऐसे खिलाड़ियों को इण्टरनेशनल लेवल का एथलीट बनाने के लिए उनकी हर सम्भव मदद की जा रही है। इन्हीं प्रयासों से जब भारत का खिलाड़ी अन्तर्राष्ट्रीय मैदानों पर उतरता है तो उसका प्रदर्शन दुनिया भी सराहती है। विगत वर्ष ओलम्पिक व पैरालम्पिक में जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ, देश के बेटे-बेटियों ने करके दिखाया। मेडल की ऐसी झड़ी लगा दी कि पूरा देश कह उठा कि खेल के मैदान में भारत का उदय हो रहा है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड के अनेक छोटे-छोटे गांवों, कस्बों के सामान्य परिवारों से बेटे-बेटियां भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसे परिवारों से भी बेटे-बेटियां आगे आ रहे हैं, जिसमें पहले संसाधन सम्पन्न परिवार के युवा ही हिस्सा ले पाते थे। इसी क्षेत्र के अनेक खिलाड़ियों ने ओलम्पिक तथा पैरालम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है। यह सरकार द्वारा गांव-गांव में किये जा रहे आधुनिक स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का परिणाम है। पहले बड़े स्टेडियम शहरों में ही उपलब्ध थे। वर्तमान में गांव के पास भी यह सुविधा दी जा रही है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि किसी नयी कार्य संस्कृति को आगे बढ़ाने का प्रयास करने पर तीन चीजें-सान्निध्य, सोच और संसाधन जरुरी होती हैं। खेलों से हमारा सान्निध्य सदियों पुराना रहा है। खेल की संस्कृति पैदा करने के लिए खेलांे से हमारे पुराने सम्बन्ध से ही काम नहीं चलेगा। इसके लिए एक नयी सोच भी चाहिए। देश में खेलों के लिए जरुरी है कि हमारे युवाओं में खेलों के लिए एक विश्वास पैदा हो। खेल को अपना प्रोफेशन बनाने का हौसला बढ़े। यही मेरा संकल्प और सपना है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि युवा खेल को भी दूसरे प्रोफेशन की तरह देखें।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह जरुरी नहीं है कि खेल में जाने वाला हर युवा विश्व में नम्बर एक बने। देश में खेल का ईको सिस्टम तैयार होने पर स्पोर्ट्स मैनेजमेन्ट से लेकर स्पोर्ट्स राइटिंग और स्पोर्ट्स साइकोलॉजी तक कितनी ही सम्भावनाएं खड़ी हो जाती हैं। धीरे-धीरे समाज में यह विश्वास पैदा होता है कि स्पोर्ट्स की तरफ जाना युवाओं के लिए सही निर्णय है। इसके लिए संसाधनों की जरुरत होती है। आवश्यक संसाधन व इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से खेल की संस्कृति भी विकसित होने लगती है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि खेलों के लिए आवश्यक संसाधन होने पर खेल संस्कृति भी आकार और विस्तार लेगी। इसलिए आज इस तरह की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी अत्यन्त आवश्यक है। स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खेल की संस्कृति को पुष्पित और पल्लवित होने के लिए नर्सरी के तरह काम करती है। इसलिए आजादी के सात दशक बाद वर्ष 2018 में पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी हमारी सरकार ने मणिपुर में स्थापित की। बीते सात सालों में देश भर में स्पोर्ट्स एजुकेशन और स्किल से जुड़े अनेक संस्थानों को आधुनिक बनाया गया। आज मेजर ध्यानचन्द स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के रूप में खेल में हायर एजुकेशन का एक और श्रेष्ठ संस्थान देश को मिला है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि खेल की दुनिया से जुड़ी एक और बात ध्यान रखी जानी चाहिए। मेरठ के लोग इसे अच्छी तरह समझते हैं। खेल से जुड़ी सर्विस और सामान का वैश्विक बाजार लाखों-करोड़ों रुपये का है। मेरठ से ही अभी 100 से अधिक देशों को खेल का सामान निर्यात होता है। मेरठ लोकल के लिए वोकल तो है ही, लोकल को ग्लोबल बना रहा है। वर्तमान में देश भर मंे अनेक स्पोर्ट्स क्लस्टर्स को भी विकसित किया जा रहा है, जिससे देश खेल के सामान और उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग मंे आत्मनिर्भर बन सके। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी खेल को प्राथमिकता दी गयी है। खेल को अब साइंस, मैथमेटिक्स, कॉमर्स, जियोग्रार्फी जैसे विषयों की श्रेणी में रखा गया है। पहले खेल को एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था, लेकिन अब स्कूल में खेल एक विषय होगा। उसका उतना ही महत्व होगा, जितना बाकी विषयों का।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के युवाओं में अपार प्रतिभा है, इसलिए उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार कई विश्वविद्यालयों की स्थापना कर रही है। जनपद गोरखपुर मंे महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष यूनिवर्सिटी, प्रयागराज में डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप राज्य विश्वविद्यालय, सहारनपुर में माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय, मेरठ में मेजर ध्यानचन्द स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनायी जा रही है। हमारा ध्येय साफ है कि देश का युवा न केवल रोल मॉडल बनें, बल्कि अपने रोल मॉडल को पहचाने भी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सरकारों की भूमिका अविभावक की तरह होती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार रिकॉर्ड संख्या में युवाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान कर रही है। आई0टी0आई0 से टेªनिंग पाने वाले हजारों युवाओं को बड़ी कम्पनियांे में रोजगार दिलाया गया है। नेशनल अप्रेन्टिसशिप योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का लाभ लाखों युवाओं को दिया गया है। श्रद्धेय अटल जी की जयन्ती पर उत्तर प्रदेश की सरकार ने विद्यार्थियों को टैबलेट व स्मार्ट फोन देने का अभियान शुरु किया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के नौजवानांे को केन्द्र सरकार की स्वामित्व योजना के बारे में जानना जरुरी है। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार गांव में रहने वाले लोगों को उनकी प्रॉपर्टी के मालिकाना हक से जुड़े कागज, ‘घरौनी’ देने का कार्य कर रही है। घरौनी मिलने पर गांव के युवाओं को अपना काम-धन्धा करने के लिए बैंकांे से आसानी से मदद मिल पाएगी। घरौनी से गरीब, दलित, वंचित, पीड़ित, पिछड़े सभी समाज के हर वर्ग को अपने घर पर अवैध कब्जे की चिंता से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार द्वारा स्वामित्व योजना को तेजी से आगे बढ़ाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में 23 लाख से अधिक लोगों को घरौनी दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इस क्षेत्र के अधिकतर युवा ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। केन्द्र सरकार ग्रामीण इलाकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से कल ही उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों के खातों में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किये गये हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ इस क्षेत्र के छोटे किसानों को हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने जितने गन्ना मूल्य का भुगतान किया, उतना पिछली दोनों सरकारों के दौरान किसानों को नहीं मिला था। पहले की सरकारों में चीनी मिलें कौड़ियों के भाव बेची जाती थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में मिलें बन्द नहीं होती, मिलों का विस्तार होता है, नई मिलें खोली जाती हैै। अब उत्तर प्रदेश गन्ने से बनने वाले एथनॉल के उत्पादन में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। बीते साढ़े चार वर्ष में लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का एथनॉल प्रदेश से खरीदा गया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारी सरकार कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर और फूड प्रोसेसिंग उद्योगों को भी तेजी से विस्तार दे रही है। ग्रामीण स्तर पर भण्डारण की व्यवस्था बनाने, कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए 01 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। डबल इंजन की सरकार युवाओं के सामर्थ्य के साथ ही इस क्षेत्र के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए कार्य कर रही है। मेरठ के रेवड़ी-गज़क, हैण्डलूम, ब्रासबैण्ड, आभूषण जैसे कारोबार यहां की शान है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मेरठ, मुजफ्फरनगर में छोटे और लघु उद्योगों का और विस्तार हो, यहां बड़े उद्योगों का मजबूत आधार बनें, यहां के कृषि उत्पादों को नये बाजार मिलें, इसके लिए भी अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इसलिए इस क्षेत्र को देश का सबसे आधुनिक रीजन बनाने का कार्य किया जा रहा है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की वजह से दिल्ली अब 01 घण्टे की दूरी पर रह गयी है। कुछ दिन पहले ही गंगा एक्सप्रेस-वे का काम शुरु हुआ है, वह भी जनपद मेरठ से शुरु होगा। देश का पहला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम मेरठ को राजनीतिक राजधानी से जोड़ रहा है। मेरठ देश का पहला शहर होगा, जहां मेट्रो और हाईस्पीड रैपिड रेल एक साथ दौड़ेगी। मेरठ के आई0टी0 पार्क का भी लोकार्पण हो गया है। डबल बेनिफिट, डबल स्पीड, डबल इंजन की सरकार की पहचान है। इस पहचान को और सशक्त करना है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन मंे आयोजित किये जा रहे देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रथम स्वाधीनता समर में क्रांति का बिगुल फूंकने वाली क्रांति धरा पर वे प्रधानमंत्री जी का स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री जी का लोगों के प्रति इतना स्नेह और आत्मीयता है कि विजिबिलिट कम होने पर वे दिल्ली से सड़क मार्ग से आये हैं।
उत्तर प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के लिए प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार ने विगत दिनों देश के सर्वाेच्च खेल पुरस्कार का नामकरण हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचन्द के नाम पर किया है। इस खेल विश्वविद्यालय का नाम भी मेजर ध्यानचन्द के नाम पर होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत सात वर्षाें मंे देश के हर क्षेत्र में विकास हुआ है। प्रत्येक क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। प्रधानमंत्री जी ने खेलो इण्डिया खेलो के माध्यम से खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने की जो अभूतपूर्व प्रेरणा दी, इसका परिणाम टोक्यो ओलम्पिक व पैरालम्पिक में प्राप्त हुआ। टोक्यो ओलम्पिक व पैरालम्पिक में भारत का अब तक का सबसे बड़ा जत्था गया और सर्वाधिक मेडल भी जीते। प्रधानमंत्री जी ने खिलाड़ियों के साथ संवाद स्थापित किया और हर स्तर पर उन्हें प्रोत्साहित और सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन मंे सांसद खेल स्पर्धा हर क्षेत्र में आयोजित हुई, इसे अभूतपूर्व सफलता मिली। मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र खेल की दृष्टि से अत्यन्त प्रतिभाशाली है। एक जनपद एक उत्पाद योजना में जनपद मेरठ के लिए खेल का सामान विशिष्ट उत्पाद के रूप में चिन्हित है। मेरठ के खेल के सामान का उपयोग देश ही नहीं दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना के निर्णय के पीछे प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एकलव्य क्रीड़ा कोष की स्थापना की गयी है, जिसमें खिलाड़ियों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं के लिए योग्य प्रशिक्षण और कोचिंग के साथ ही फेलोशिप देने की व्यवस्था भी है। राज्य सरकार खेलों को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। ओलम्पिक, एशियाई, राष्ट्रमण्डल तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को शासन सेवाओं में समायोजन का निर्णय लेकर कार्यवाही की जा रही है, जिससे उनकी प्रतिभा का लाभ नयी पीढ़ी को भी प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने टोक्यो ओलम्पिक में पदक विजेता खिलाड़ियों तथा प्रदेश के प्रतिभागी खिलाड़ियों को जनपद लखनऊ में एक सम्मान समारोह मंे सम्मानित किया। इसी प्रकार टोक्यो पैरालम्पिक मंे पदक विजेता खिलाड़ियों को जनपद मेरठ में एक कार्यक्रम आयोजित सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ओलम्पिक खेलों में एकल वर्ग में प्रदेश के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 06 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता खिलाड़ी को 04 करोड़ रुपये तथा कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी को 02 करोड़ रुपये दिये जाने की व्यवस्था की है। इसी प्रकार ओलम्पिक खेलों में टीम स्पर्धा में प्रदेश के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 03 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता खिलाड़ी को 02 करोड़ रुपये तथा कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी को 01 करोड़ रुपये दिये जाने की व्यवस्था है। इसी प्रकार एशियाई एवं राष्ट्रमण्डल खेलों के विजेता खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में खेल को आगे बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। इसमें हर गांव में खेल का मैदान, ओपेन जिम, हर जनपद में स्टेडियम, मिनी स्टेडियम और अन्य खेल सुविधाओं को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य को केन्द्र सरकार का भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्हांेने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपनी ऊर्जा और प्रतिभा के लिए जाना जाता है। यहां का किसान और जवान सदैव राष्ट्र की सेवा के साथ अन्न उत्पादन में योगदान किया है।
प्रधानमंत्री जी ने मेरठ आगमन पर बाबा औघड़नाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने शहीद स्मारक पर जाकर अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। शहीद स्तम्भ व शहीद मंगल पाण्डे की प्रतिमा पर भी पुष्प अर्पित किये व राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की वीथिकाओ का अवलोकन कर उसे सराहा।
इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी0के0 सिंह, केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉ0 संजीव कुमार बालियान, प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री उपेन्द्र तिवारी, कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री कपिल देव अग्रवाल, जल शक्ति राज्यमंत्री श्री दिनेश खटीक सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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