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प्रादेशिक

पीएम ने सात सालों में 30 बार किया काशी का दौरा, 1 खरब ,58 अरब ,95 करोड़ की विकास योजनाओं का किया लोकार्पण

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वाराणसी। 2014 में नरेंद्र मोदी गुजरात के विकास मॉडल पर सवार होकर वाराणसी आए थे। मोदी काशी के सांसद बने और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। पीएम जब काशी की संस्कृति व सभ्यता से मिलते जुलते जापान के प्राचीन शहर क्योटो गए तब देश मे काशी को क्योटो तर्ज़ पर विकास की चर्चा तेज हुई थी। यही नहीं कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को मोदी वाराणसी लेकर आए। पीएम ने बनारस में विकास की नींव रखनी शुरू की।

वाराणसी से सांसद बनने के बाद जब देश के प्रधानमंत्री बने तो 2014 से 2021 तक मोदी क़रीब 30 बार वाराणसी आ चुके है। और जब भी वे अपने संसदीय क्षेत्र आए है तो करोड़ों की सौगात देकर गए है। इसके अलावा भी वे कई बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से क्षेत्रवासियों के साथ संवाद और विकास कार्यों की शुरुआत कर चुके हैं।

2014 से 2017 तक का विकास का सफर तेज रहा लेकिन 2017 में जैसे ही उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार आई तब डबल इंजन की सरकार ने विकास के कामो की रफ़्तार बढ़ा दी। वाराणसी में 7 सालों में कई बदलाव देखने को मिल रहा है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में कई बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है तो कई योजनाए आकार ले चुकी है।

2014 से 2021 तक सात सालों में लगभग 310 योजनाएं लोकार्पित हुई है जो क़रीब 1,58,95,28 लाख में ( 1 खरब ,58 अरब ,95 करोड़ ,28 लाख रुपए)। वहीं 23 दिसंबर 2021 तक 162 योजनाएं का शिलान्यास किया जा चुका है। जिसकी लागत लगभग 41,74,13.51 लाख ( 41अरब 74 करोड़ 13 लाख ) है। पूर्वांचल के कई जिलों में दशकों से लंबित योजनाएं भी पूर्ण होकर लोकार्पित हो चुकी है। जो आने वाले समय में पूर्वांचल के विकास को गति प्रदान कर रही है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम ,स्वास्थ्य,शिक्षा,चिकित्सा,पेयजल,पर्यटन,यातायात,गंगा,घाट,रिंग रोड ,राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण ,फ्लाईओवर ,आवास ,शौचालय जैसे कई काम हुए है जिससे वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल के लोगों का जीवन सरल और सुगम हुआ है।

उत्तर प्रदेश

संकट में होती है व्यक्ति और संस्थान की पहचान, कोई बिखर तो कोई निखर जाता है: सीएम योगी

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लखनऊ |  संकट में हर व्यक्ति और संस्थान की पहचान होती है। जब अचानक कोई चुनौती आती है तो लोग बड़े-बड़े दावे करके मैदान छोड़ भाग जाते हैं। यह वह समय होता है, जब कोई बिखर जाता है और जो चुनौतियों का सामना करता है वो निखर जाता है। हमें बिखरना नहीं है। केजीएमयू के गौरव को बढ़ाना है। ध्यान रहे कि कोई भी मरीज निराश न जाए। सीएम ने कहा कि संस्थान नई-नई सेवाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। वर्ष 1905 में जब मेडिकल कॉलेज खुलने की बात आई होगी तो उस समय रियासतों ने सहयोग किया होगा। 10 लाख 75 हजार 800 रुपये से मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया। वहीं संस्थान आज अपनी शानदार यात्रा के साथ देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान के रूप में अग्रणी चिकित्सा संस्थान के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। आज केजीएमयू का दायरा लगभग 100 एकड़ के क्षेत्रफल में होने जा रहा है। यह शानदार सफर ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा।

यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने शनिवार को केजीएमयू के 120वें स्थापना दिवस समारोह में 67 मेधावी छात्रों को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया।

संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शासन ने संस्थान को सब कुछ दिया है। हमारे पास पैसों की कमी नहीं है। हमें सेवाओं को बेहतर बनाने के बारे में सोचना चाहिये। संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा, ताकि संस्थान के गौरव को और आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान केजीएमयू में मिसाल पेश की है। सीएम ने कहा कि एक मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन कर लिया था, लेकिन जांच में वह निगेटिव मिले। इस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया जबकि केजीएमयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरुप पूरी तत्परता से काम किया। परिणाम हम सभी के सामने हैं। उन्होंने कहा कि यहां मेडिकल की सबसे अधिक सीटें हैं, जहां पर छात्र पढ़ाई करके आने वाले समय में चिकित्सा संस्थान की उपलब्धियों को और भी आगे लेकर जाएंगे। सरकार ने भी संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों और लैब के लिए 300 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसके अलावा 377 करोड़ रुपये से सर्जरी डिपार्टमेंट की एक नई बिल्डिंग के लिए स्वीकृत की है। वहीं फायर सिक्योरिटी के लिए लगभग 46 करोड़, लारी कॉर्डियोलॉजी के विस्तार के लिए 70 करोड़ रुपये दिये हैं।

बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है, इसका ध्यान रखें डॉक्टर्स और स्टाफ

सीएम योगी ने संस्थान के चिकित्सकाें को मरीजों की स्क्रीनिंग, वर्चुअल आईसीयू, टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू करने पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उपचार के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है, इलाज में पैसा समस्या नहीं है। दिनचर्या से आज मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। दूसरी बीमारी स्मार्ट फोन बन गई है। इसके लिए मानसिक रोग विभाग का विस्तार किया जाना चाहिये। साथ ही इसे रोकने के लिए जागरुकता फैलानी होगी। सीएम ने कार्डियक सर्जरी, किडनी- आर्गन ट्रांसप्लांट के साथ डोनेशन पर तेजी के साथ विस्तार करने की अपील की। बोले-इसके बारे में लोगों के मन में एक चेतन को जागृत करने की आवश्यकता है। उन्हे बताने की आवश्यकता है कि कोई व्यक्ति अगर ब्रेन डेड हो गया है और उसके अंग अगर किसी दूसरे व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं तो डोनेट करने में क्या बुराई है। इसे लेकर केजीएमयू को अवेयरनेस कैंप, विभिन्न कार्यक्रम, होर्डिंग और पंफलेट आदि के जरिये जागरुकता की ओर ध्यान देना चाहिये। सीएम ने कहा कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस विभाग का पैसा खर्च नहीं हो पाता है। इस ओर ध्यान देना होगा। सीएम ने कहा कि डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी पूंजी उनकी संवेदना होती है। सबके निरोग होने की कल्पना के साथ डॉक्टर का व्यवहार ठीक होगा तो बाकी स्टाफ का काम और व्यवहार भी ठीक होगा। बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है। ऐसे में सेवा और शिक्षा दोनों फील्ड में यह मानक तय करने होंगे।

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने सीएम योगी को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, निदेशक आईआईटी कानपुर प्राेफेसर मणिंद्र अग्रवाल, केजीएमयू की प्रतिकुलपति प्रो. अपजित कौर, डीन प्रो. अमिता जैन आदि की उपस्थिति रही।

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