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प्रादेशिक

पीएम मोदी आज देंगे यूपी के लोगों को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात

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लखनऊ। आज पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के लोगों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की सौगात देंगे। पीएम मोदी सुल्तानपुर जिले के करवल खीरी में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे। 341 किलोमीटर लंबे छह लेन वाले राजमार्ग का दोपहर करीब 1:30 बजे उद्घाटन किया जाएगा।

इस मौके पर सीएम योगी ने पीएम मोदी का धन्यवाद किया है। सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा, आदरणीय प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से आज उत्तर प्रदेशवासियों के स्वप्नों और आशाओं के राजपथ ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’ का उद्घाटन होगा। यह एक्सप्रेस-वे आम जनमानस के जीवन में विकास के नए युग का सूत्रपात करेगा व पूर्वांचल को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेगा। आभार प्रधानमंत्री जी!

उन्होंने आगे कहा, बहुपक्षीय विकास का सेतु ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’ सुगम यात्रा का माध्यम बनने के साथ ही उ.प्र. की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बनेगा। निःसंदेह, यह एक्सप्रेस-वे आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश को 1 ट्रिलियन USD इकोनॉमी बनाने के संकल्प को पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की खासियत

लंबाई 341 किलो मीटर

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की लंबाई 341 किलो मीटर है और यह लखनऊ से होते हुए बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, अमेठी, सुल्तानपुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर से होकर गुजरेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि दिल्ली से उत्तर प्रदेश के पूर्वी कोने तक बस 10 घंटे में पहुंचा जा सकता है।

वॉर या नेचुरल डिजास्टर की स्टेट में यहां एयरफोर्स के प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग के लिए हाइवे पर एयर स्ट्रिप होगी। यह हाइवे 340.8 किलो मीटर लंबा है और 6 लेन में बना है। इसी के साथ यह उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। दिल्ली-पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 9 जिलों लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, अमेठी, सुल्तानपुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर से निकलेगा। इस एक्सप्रेसवे का एंट्री पॉइंट लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर चांदसराय गांव है।

एग्जिट पॉइंट गाजीपुर का हैदरिया गांव

वहीं, इसका एग्जिट पॉइंट गाजीपुर का हैदरिया गांव है। यह एक्सप्रेसवे 22,494 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। बताया जा रहा है कि 6 लेन का यह एक्सप्रेसवे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की मदद से 300 किलोमीटर की यह यात्रा केवल 3.30 घंटे में तय की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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