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प्रादेशिक

वाराणसी दौरे पर पीएम मोदी, आज जनता को देंगे 2095.67 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात

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वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री दिसंबर में ही दस दिनों में दूसरी बार वाराणसी आएंगे। मोदी इस बार पूर्वांचल के लोगो के लिए रोजगार की बड़ी सौगात  के साथ अन्य कई परियोजनाओं  का लोकार्पण और शिलान्यास  करेंगे।  वे 2095.67 करोड़ की सौगात देंगे जिसमे 870.16 करोड़ की लागत से निर्मित 22 परियोजनाएं जनता को समर्पित करेंगे। साथ ही 1225.51 करोड़ की पांच परियोजनाओं शिलान्यास करेंगे।

प्रधानमंत्री  पिंडरा तहसील  के  करखियांव  में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। इस जनसभा में लाखो  लोगों आने की संभावना है,बुधवार तक कार्यक्रम स्थल पर लाखों कुर्सियां लगाई जा चुकी है जो वाराणसी समेत आस -पास के जिलों के लोगो के लिए होगी।  पीएम यही से उत्तर  प्रदेश के 20 लाख परिवारों को ऑनलाइन घरौनी भी जारी करेंगे। इसमें करीब  35 हजार परिवार वाराणसी के शामिल होंगे। पीएम कुछ लाभार्थियों को मंच पर अपने हाथों से घरौनी देंगे वही बाकी को डिजिटल  घरौनी जारी करेंगे। प्रधानमंत्री रोजगार के क्षेत्र में  बड़ी सौग़ात के रूप में 475 करोड़ की बनास काशी संकुल परियोजना की नींव रखेंगे। साथ ही  एक लाख 70 हजार दुग्ध उत्पादकों को 35.2 करोड़ रुपये बोनस का डिजिटल ट्रांसफर करेंगे। अलावा शहर में 720 स्थल पर उन्नत सर्विलांस कैमरा,बेनियाबाग पार्क में भूमिगत पार्किंग व पार्क का विकास कार्य, गुरु रविदास की जन्म स्थली सीरगोवर्धन के पर्यटन विकास फेज-1 के तहत सामुदायिक हाल व शौचालय के निर्माण का लोकार्पण करेंगे। रामनगर में  बायोगैस प्लांट का शिलान्यास भी करेंगे जो करीब सौ मीट्रिक टन कचरे से चार हज़ार क्यूबिक मीटर बायोगैस बनाएगा। जिससे बनी बिजली का उपयोग पराग डेयरी करेगा। प्रधानमंत्री विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से बातचीत भी कर सकते है।

प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पित  होने वाली योजनाएं  -50 शैय्या युक्त एकीकृत आयुष चिकित्सालय ग्राम भदरासी विकासखंड आराजी लाइन- 6.41 करोड़ रुपये-कालभैरव वार्ड का पुनर्विकास कार्य -16.24 करोड़ -राजमंदिर वार्ड का पुनर्विकास कार्य-13.53 करोड़-दशाश्वमेध वार्ड का पुनर्विकास कार्य- 16.22 करोड़ -जंगमबाड़ी वार्ड का पुनर्विकास कार्य-12.65 करोड़ -गढ़वासी टोला का पुनर्विकास कार्य-7.90 करोड़ -नदेसर तालाब का विकास एवं सुंदरीकरण -3.02 करोड़ -सोनभद्र तालाब का विकास एवं सुंदरीकरण -1.38 करोड़ -शहर में 720 स्थल पर उन्नत सर्विलांस कैमरा-128 .04 करोड़ -बेनियाबाग पार्क में भूमिगत पार्किंग व पार्क का विकास कार्य-90.42 करोड़ -सड़क व चौराहों का सुधार कार्य (फेज-1 मैदागिन से गोदौलिया, गोदौलिया से सोनारपुरा व सोनारपुरा से अस्सी व सोनारपुरा से भेलूपुर व गोदौलिया से गिरजाघर) -25 करोड़-50 एमएलडी क्षमता की एसटीपी रमना का निर्माण – 161.31 करोड़ -बीएचयू में डॉक्टर हास्टल, नर्स हास्टल व धर्मशाला का निर्माण-130 करोड़ -बीएचयू में अंतर विश्वविद्यालयी शिक्षक शिक्षा केंद्र का निर्माण – 107.36 करोड़  -बीएचयू में 80 आवासीय फ्लैट-पैकेज-1 तहत जोधपुर कालोनी में निर्मित-60.63 करोड़-बीएचयू में 80 आवासीय फ्लैट-पैकेज-2 तहत जोधपुर कालोनी में निर्मित-60.63 करोड़-राजकीय आईटीआई करौंदी में 13 आवासों का निर्माण-2.75 करोड़ – गुरु रविदास की जन्मस्थली सीरगोवर्धन के पर्यटन विकास फेज-1 के तहत सामुदायिक हाल व शौचालय का निर्माण-5.35 करोड़। -अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ईरी में स्पीड ब्रीडिंग फैसिलिटी का निर्माण -3.55 करोड़

-केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षण संस्थान सारनाथ में शिक्षक प्रशिक्षण भवन का निर्माण-7.10 करोड़ -तहसील पिंडरा में दो मंजिला अधिवक्ता भवन का निर्माण -1.64 करोड़  -क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला का निर्माण पिंडरा-9.03 करोड़
प्रधानमंत्री के हाथों  शिलान्यास होने वाली परियोजनाएं -बनास काशी संकुल -करखियांव – 475 करोड़ की नींव रखेंगे। -मोहनसराय दीनदयाल चकिया मार्ग (लंबाई 11 किमी) के मध्य सर्विस लेन के साथ सिक्स लेन कार्य – 412.53 करोड़- वाराणसी -भदोही-गोपीगंज मार्ग (एसएच-87) भी फोर लेन ( 8.6 किलोमीटर) मार्ग का चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण- 269 .10 करोड़-दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड संयंत्र, रामनगर बायोगैस पावर उत्पादन केंद्र -19 करोड़- आयुष मिशन के तहत राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेज- 49.99 करोड़

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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