उत्तर प्रदेश
राजाभैया की पत्नी ने MLC अक्षय प्रताप पर दर्ज कराई धोखाधड़ी व जालसाजी की FIR
नई दिल्ली। उप्र की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया की पत्नी भानवी कुमारी ने उनके बेहद करीबी एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह सहित पांच लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। नई दिल्ली के आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। भानवी कुमारी ने सीआरपीसी की धारा 420, 467, 468, 471,109 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
राजाभैया के बेहद खास हैं अक्षय प्रताप
विधान परिषद सदस्य अक्षय प्रताप सिंह रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया के बेहद खास हैं। अक्षय प्रताप तीन बार से एमएलसी हैं और एक बार प्रतापगढ से सांसद भी रह चुके हैं। वह राजाभैया के रिश्तेदार भी हैं। अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो चुकी है और इससे राजाभैया के परिवार में चल रहा मतभेद भी सामने आ गया है।
संपत्ति को लेकर जुड़ा है विवाद
बताया है जाता है कि राजाभैया की पत्नी भानवी कुमारी ने संपत्ति को लेकर अक्षय प्रताप सिंह सहित पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने फर्जी तरीके से संपत्तियों का संचालन करने और कूटरचित तरीके से उनका दस्तखत करके संपत्तियों और शेयरों की हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।
फर्जी पते पर रिवॉल्वर का लाइसेंस लेने पर हो चुकी है सजा
एमएलसी और पूर्व सांसद अक्षय प्रताप सिंह को फर्जी पते पर रिवॉल्वर का लाइसेंस लेने के मामले में कोर्ट से सजा भी मिल चुकी है। एमएलसी चुनाव के ठीक के पहले 23 मार्च 2022 को सात साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी, हालांकि जिला जज की अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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