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RATAN TATA : दुनिया को अलविदा कह गए रतन टाटा, पूरी लैंड रोवर कंपनी खरीद कर लिया था अपने अपमान का बदला

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नई दिल्ली। देश का असली ‘रतन’ उद्योगपति रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया. 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. देश उन्हें हमेशा उनके कामों से याद रखेगा. रतन टाटा जितने सरल थे, उतने ही अंदर मजबूत थे. जब वो किसी काम को ठान लेते थे तो फिर उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही रुकते थे. ऐसी ही उनकी एक यादगार कहानी है.

इंडिका का सपना और फोर्ड की चुनौती

1998 में, रतन टाटा ने अपनी पहली कार, इंडिका, लॉन्च की। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन बाजार में इसे अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली और कंपनी घाटे में चली गई। इस कारण, रतन टाटा को कंपनी बेचने का विचार आया और वे फोर्ड के पास प्रस्ताव लेकर गए। लेकिन बैठक में फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड ने अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा, “जिस व्यापार की समझ नहीं, उसमें इतना पैसा क्यों लगाया?”

यह सुनकर रतन टाटा ने कंपनी बेचने का विचार छोड़ दिया और इंडिका को एक सफल ब्रांड बनाने का संकल्प लिया। 2008 में, जब फोर्ड आर्थिक संकट में था, टाटा ने लैंड रोवर और जगुआर कंपनियों को खरीदा। इस बार बिल फोर्ड ने कहा, “आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं।

26/11 मुंबई हमले के बाद ताज होटल की सेवा

26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान, ताज होटल का स्टाफ बिना अपनी जान की परवाह किए लोगों की मदद कर रहा था। रतन टाटा ने हमले के बाद न सिर्फ कर्मचारियों को समर्थन दिया, बल्कि उन छोटे व्यापारियों को भी मदद की जो होटल के आसपास अपना रोजगार चलाते थे। 20 दिनों के अंदर उन्होंने सभी प्रभावितों को मुआवजा दिलाया, जबकि सरकारी मुआवजा देने में सालों लग गए।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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