Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

ताजमहल पर भगवाधारी बैन, जगद्गुरु परमहंसाचार्य को प्रवेश करने से रोका

Published

on

Loading

लखनऊ। जिस भगवा को पहन कर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताजमहल से पूरे देश को पीएम मोदी के स्वक्षता अभियान से जुड़ने को जागरूक किया था। उसी भगवा को शरीर पर धारण कर राम जन्म भूमि अयोध्या से ताजमहल देखने आये जगद्गुरु परमहंसाचार्य और उनके शिष्यों को धक्के देकर बाहर निकाल दिया गया। हालाँकि संतों की वाणी की मधुरता थी की वो दुःख होने के बाद भी आशीर्वाद देकर वहां से वापस अयोध्या लौट गए। संतों के अपमान पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे क्षमा भी मांगी है। अब मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के पास से कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।

बता दें की अलीगढ के एक भक्त परिवार में एक महिला की तबियत खराब होने पर अयोध्या छावनी के रहने वाले संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य अपने साथ तीन शिष्यों को लेकर ताजमहल देखने आये थे। उनके साथ उनके सरकारी गनर भी थे। शमशान घाट चौराहे से जब वो ताजमहल के लिए निकले तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने परिचय जानकर उन्हें गोल्फकार में बिठाकर पश्चिमी गेट भेजा। शाम 5 बजकर 35 मिनट पर वो अपने शिष्यों के साथ ताजमहल में प्रवेश करने लगे तो वहां मौजूद सीआईएसएफ और अन्य कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया। उनके भगवा पहने होने के कारण प्रवेश न देने की बात कही गयी और उनके टिकट लेकर उन्हें अन्य पर्यटकों को बेच दिए गए और उनका पैसा लौटा कर वापस भेज दिया गया। आरोप है की उनके शिष्य ने जब उनकी फोटो खींचने का प्रयास किया तो मोबाइल छीन कर फोटो डिलीट कर दिए गए।

पर्यटकों ने उड़ाया मजाक पर हँसते रहे संत

परमहंसाचार्य में प्रवेश नहीं मिला तो वहां खड़े एक दक्षिण भारतीय पर्यटक ने मजाक उड़ाते हुए कहा की दाढ़ी है टोपी लगा लेते तो काम हो जाता , भगवा पहन कर क्यों आये। परमहंसाचार्य ने कहा की उन्होंने सूना है की यह तेजोमहल है और यहाँ भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है। इसीलिये वो आज यहाँ देखने आये थे , पर यहाँ कहा गया की भगवा पहने हैं और ब्रह्मदण्ड लिए हैं ,भगवा वालों को पर रोक है , यहाँ टोपी वालों को जाने दिया जाता है। यह दुर्भाग्य है की टोपी वालों महत्त्व दिया जाता है ,भगवान चाहेंगे तो यह दुर्भावना जो पैदा हो गयी है उसे ठीक किया जाएगा। उनके शिष्य परमहंस ने बताया की हमें गेट पर कहा गया की योगी जी को भी भगवा पहनने पर रोका गया था। ताजमहल पर भगवा को भी प्रवेश मिलना चाहिए और जो लोग दोषी हैं जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

Published

on

Loading

महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

Continue Reading

Trending