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आध्यात्म

शनिदेव करने जा रहे हैं राशि परिवर्तन, इन राशि वालों का चमकेगा भाग्य

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Shani Dev

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नई दिल्ली। ज्योतिषशास्त्र में न्याय के देवता माने जाने वाले शनिदेव (Shani Dev) 17 जनवरी 2023 को राशि परिवर्तन करेंगे। शनि की स्थिति में हो रहा यह बदलाव एक बड़ी ज्योतिषीय घटना है। 2020 के जनवरी में शनि जब मकर राशि में आए थे तबसे दुनिया भर में उथल-पुथल की स्थिति मची हुई है।

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अब शनि के कुंभ राशि में आने को लेकर ज्योतिषाचार्यों और दुनिया भर के लोगों में उम्मीद जगी हुई है कि शनि महाराज का प्रकोप कुछ कम होगा। शनि कुंभ राशि में आने से कई राशियों की जिंदगी में भी बदलाव आएंगे। बीते ढाई और सात साल से जिनके जीवन में परेशानी चल रही थी उनके लिए शनि अब अच्छे दिन लेकर आएंगे।

आइए जानें शनि के कुंभ राशि में आने से किन-किन राशियों के भाग्य का सूरज चमकेगा।

वृष राशि

वृष राशि वालों को शनि के कुंभ राशि में जाने से लाभ मिलेगा, क्योंकि मकर राशि में बैठकर शनि वृष राशि वालों के भाग्य स्थान को प्रभावित कर रहे थे।

लाभकारी यात्रा का संयोग बनेगा। विदेश से संबंधित कार्यों और यात्राओं में लाभ का संयोग बनेगा।

प्रतियोगिताओं में इन राशि के जातकों को सफलता मिलेगी। आर्थिक मामलों में भी प्रगति होगी।

कमाई में वृद्धि होगी और बीते कुछ समय से चली आ रही परेशानियों से राहत पाएंगे।

मिथुन राशि

मिथुन राशि जिन पर 2020 से ढैय्या चल रही है, उनका ढैय्या समाप्त होगा और जीवन में प्रगति का मार्ग साफ होगा।

जो लोग नौकरी में बदलाव की कोशिश कर रहे हैं उन्हें कोई अच्छा मौका मिल सकता है।

जहां काम कर रहे हैं वहां भी उनकी मेहनत और क्षमताओं को सम्मान मिलेगा और प्रभाव में वृद्धि होगी।

आर्थिक मामलों में चल रही परेशानियों से कुछ राहत पाएंगे लेकिन शुभ कार्यों पर धन खर्च होगा।

पारिवारिक जीवन की उलझनों से इस राशि के लोगों को राहत मिलेगी। मानसिक तनाव से भी कुछ राहत पाएंगे।

तुला राशि

तुला राशि के ऊपर भी 2020 से शनि की ढैय्या चल रही है।

शनि के मकर से कुंभ में चले जाने पर तुला राशि के लोगों को भी ढैय्या के प्रकोप से मुक्ति मिलेगी।

बीते ढाई साल में आपने जो संघर्ष किया है उसका मीठा फल अब मिलने लगेगा।

पारिवारिक जीवन में तालमेल अच्छा होगा।

जो लोग आपसे नाराज चल रहे हैं वह भी अब आपके करीब आने की कोशिश करेंगे।

शनि के शुभ प्रभाव से नौकरी और कारोबार में आपका सितारा चमकेगा।

कई अन्य मार्गों द्वारा भी आपकी कमाई में वृद्धि होगी।

धनु राशि

धनु राशि के लोगों के लिए शनि का कुंभ में जाना बेहद कल्याणकारी रहेगा।

आने वाले साल 2023 में इनकी राशि में चल रही शनि की साढ़ेसाती दूर होगी। इससे मानसिक दबाव धीरे-धीरे काम होता जाएगा।

जीवन में थोड़ी स्थिरता आएगी और अस्त व्यस्त जिंदगी पटरी पर आएगी। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।

अपने कार्यक्षेत्र में पूर्व में किए गए मेहनत का लाभ मिलेगा।

नौकरी में प्रभाव और पद में वृद्धि देखने को मिल सकती है या नई नौकरी का भी अवसर मिल सकता है।

फैमली लाइफ भी आपकी बेहतर होगी। खुशी का संयोग बनेगा। माता-पिता और पैतृक संपत्ति से सुख पाएंगे।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख में दी गई जानकारी के पूर्णतया सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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