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प्रादेशिक

श्याम रजक ने दी बहन की गाली, है आरएसएस का एजेंट: तेज प्रताप यादव

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तेज प्रताप यादव

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नई दिल्ली। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े बेटे और बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने पार्टी नेता श्याम रजक पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्हें बहन की भद्दी भद्दी गालियां दी। दिल्ली में आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक छोड़कर निकले तेज प्रताप यादव ने मीडिया से वार्ता में यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसका ऑडियो भी है। जिसे अपने पेज से वायरल कर पूरे प्रदेश की जनता को सुनाएंगे।

बैठक छोड़ कर बीच में निकले तेज प्रताप से मीडिया कर्मियों ने जब वजह पूछ लिया उन्होंने कहा कि गाली सुनने के लिए बैठक में क्यों रहेंगे? तेज प्रताप ने कहा श्याम रजक ने उनके पीए को भी गाली दी। तेज प्रताप ने श्याम रजक पर आरएसएस और भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया और पार्टी से निकालने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब रजक से बैठक की टाइमिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपने जवाब में गालियां दी।

दरअसल, सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें गाली गलौज किया जा रहा है। यह ऑडियो श्याम रजक का बताया जा रहा है।  ऑडियो में कहा जा रहा है कि मंत्री बन गया तो पीए से बात करवाता है। इस दौरान गाली-गलौज व अभद्र शब्दों का प्रयोग किया गया है।

बता दें कि दिल्ली में राजद की दो दिवसीय बैठक हो रही है। पहले दिन 9 अक्टूबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। लालू यादव के अलावा शरद यादव, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, रामचंद्र पूर्वे, अब्दुल बारी सिद्दिकी, श्याम रजक समेत पार्टी के कई नेता मंच पर बैठे।

तेजप्रताप यादव और श्याम रजक मंच पर एक साथ बैठे थे। बैठक के  दौरान भारी बवाल हुआ। मीटिंग शुरू होने के थोड़े देर बाद ही लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप गुस्से में लाल होकर मीटिंग छोड़कर निकल गये। बाहर निकलते ही ऐलान कर दिया कि श्याम रजक ने बहन की गाली दी है। उन्होंने कहा कि श्याम रजक आरएसएस का एजेंट है। एक एक को हैसियत बता देंगे।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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