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उत्तर प्रदेश

सीतापुर के पुलिसकर्मियों ने की मिठाई की चोरी, वायरल हुआ वीडियो

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अभी तक आपने चोरों को ही चोरी करते हुए देखा होगा, लेकिन क्या कभी आपने पुलिस वालों को चोरी करते हुए देखा है? अगर नहीं तो आप यूपी के सीतापुर में वायरल हो रहे हैं सीसीटीवी फुटेज को देख सकते हैं। आप अंदाजा लगा पाएंगे कि पुलिसकर्मी भी चोरी कर सकते हैं और वह भी मिठाई की चोरी। सुनने में बड़ा आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन यह 100 फ़ीसदी सत्य है।

पुलिसकर्मियों ने की मिठाई की चोरी

पुलिस कर्मियों द्वारा मिठाई चोरी का यह सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर काफी तेजी के साथ वायरल हो रहा है। हालांकि थाना पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे पुलिसकर्मी थाने के ना होकर पीएसी के जवान बताए जा रहे हैं। साथ ही यह सीसीटीवी फुटेज 13 अक्टूबर का बताया जा रहा है। यह पूरा मामला रेउसा थाने का है।

बताते चलें की थाना क्षेत्र के रहने वाले राकेश की रेउसा चौराहे पर राकेश मिठाई के नाम से दुकान है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है की 3 वर्दीधारी पुलिसकर्मी मिठाई के दुकान के अंदर जाते हैं, जबकि एक पुलिस कर्मी दुकान के पास ही पड़ी कुर्सी पर ही बैठा है। दुकान के अंदर पहुंचने के बाद तीनो पुलिस कर्मी इधर उधर तलाशी लेने के बाद बाहर रखे काउंटर की तलाशी लेने लगते हैं। काउंटर में अच्छी मिठाई को चोरी करने के बाद दो पुलिसकर्मी थाने की तरफ जाते हुए दिखाई दे रहे हैं,जबकि एक पुलिसकर्मी वहीं काउंटर के पास दुकान के अंदर खड़ा रहता है। कुछ देर बाद वह भी चला जाता है।

लइया-चना बेचने वाले ने भी की चोरी की पुष्टि

पूरे मामले को लेकर पूरे कस्बे में मिठाई चोरी की वारदात को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। मिठाई की दुकान के पास में लइया चना की दुकान लगाने वाले विजय का कहना है कि उन्होंने देखा कि पुलिस वाले राकेश की दुकान में मिठाई चुरा रहे हैं उनके पास सरकारी अखिलेश भी थे। पुलिस वाले टॉर्च जलाकर दुकान के अंदर देख रहे थे। सरकार उनको वेतन दे रही है यह उनकी कैसी मानवता है।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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