नेशनल
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से इस भाजपा शासित राज्य में जुड़ीं सोनिया गांधी
मैसूर (कर्नाटक)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा केरल होते हुए अब कर्नाटक पहुंच गई है। कर्नाटक के मांड्या जिले में भारत जोड़ो यात्रा से आज गुरुवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी जुड़ीं हैं। इस दौरन उन्होंने राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ पैदल मार्च किया।
यह यात्रा 21 दिनों तक कर्नाटक से होकर गुजरेगी। इस दौरान राज्य में 511 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। कर्नाटक में यह यात्रा चामराजनगर, मैसूर, मांड्या, तुमकुरु, चित्रदुर्ग, बेल्लारी और रायचूर जिलों से होते हुए भी निकलेगी।
मल्लिकार्जुन खड़गे भी हुए शामिल
सोनिया गांधी भाजपा शासित राज्य कर्नाटक के मांड्या जिले से पहली बार भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लिया। सोनिया गांधी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस पैदल मार्च में शामिल हुए।
यात्रा के 26वें दिन शामिल हुईं सोनिया गांधी
बता दें कि सोनिया गांधी ने लंबे समय से पार्टी के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पांच महीने चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा के 26वें दिन वह इसमें शामिल हुईं हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के 7 अक्टूबर को पैदल मार्च में शामिल होने की उम्मीद है।
कर्नाटक के गुंडलुपेट से शुरू हुई राज्य में यात्रा
पिछले महीने कन्याकुमारी से यात्रा की शुरुआत करने वाले राहुल गांधी पैदल मार्च में लगातार चल रहे हैं। केरल से होते हुए 30 सितंबर को कर्नाटक के गुंडलुपेट से राज्य में यात्रा की शुरुआत हुई है।
भाजपा शासित राज्य से गुजर रही यात्रा
कर्नाटक में प्रवेश करने के साथ यह यात्रा एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर गई है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। यह पहली बार है जब यह भाजपा शासित राज्य से यह यात्रा गुजर रही है। इसके पहले तमिलनाडु और केरल से होकर यह यात्रा निकली थी, जहां भाजपा सरकार नहीं है।
गौरतलब है कि कांग्रेस की यह भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से श्रीनगर तक का 3,570 किलोमीटर लंबा मार्च पांच महीने की अवधि में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगा।
नेशनल
World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने रचा इतिहास, 180 से ज्यादा देशों के लोग हुए शामिल
बेंगलुरु। विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने इतिहास रच दिया है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ऑन लाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दुनिया भर के 85 लाख से ज्यादा लोगों को सामूहिक ध्यान कराया। इस कार्यक्रम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में जगह बनाते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ा।
180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए
दरअसल, पूरी दुनिया ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के तौर पर मनाया। इसी क्रम में यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए और इसके माध्यम से ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन समारोह से शुरू होकर अपने समापन तक यह कार्यक्रम दुनिया के महाद्वीपों में ध्यान की लहर फैलाता चला गया।
ये रिकॉर्ड टूटे
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
YouTube पर ध्यान के लाइव स्ट्रीम के सबसे ज़्यादा दर्शक
एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स
एक दिवसीय ध्यान में भारत के सभी राज्यों से अधिकतम भागीदारी
एक दिवसीय ध्यान में अधिकतम Nationalities ने हिस्सा लिया
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
यह डिटॉक्स ड्रिंक्स सर्दियों में रोकेगा वजन का बढ़ना, फैट को करेगा बर्न
-
नेशनल3 days ago
महाराष्ट्र के कल्याण शहर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, दामाद और ससुर के बीच मक्का-मदीना और कश्मीर जाने को लेकर हुए विवाद
-
राजनीति3 days ago
विपक्षी सांसदों के साथ धक्का – मुक्की, प्रताप सारंगी के सिर में लगी चोट
-
नेशनल3 days ago
संसद में आज हुई धक्का – मुक्की की घटना पर आया, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का बयान
-
प्रादेशिक2 days ago
भोपाल के जंगल में लावारिस कार से मिला 10 करोड़ कैश और 42 करोड़ का सोना
-
खेल-कूद3 days ago
संन्यास लेने के बाद भारत पहुंचे रविचंद्रन अश्विन, चेन्नई एयरपोर्ट पर फैंस ने किया जोरदार स्वागत
-
नेशनल2 days ago
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का निधन, गुरुग्राम मेदांता में ली अंतिम सांस
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
अयोध्या में बोले सीएम योगी- जिस औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ा, उनके वंशज आज रिक्शा चला रहे हैं