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उत्तर प्रदेश

जनता हुई खफा तो ‘शून्य’ में पहुंची सपा, एक भी नगर निगम में नहीं खुल सका पार्टी का खाता

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akhilesh yadav sad

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लखनऊ, 13 मई। समाजवादी पार्टी और इसके मुखिया अखिलेश यादव के लिए उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव बुरे स्वप्न की तरह रहे। सीएम योगी द्वारा यूपी के चहुंमुखी विकास के खिलाफ बयानबाजी और माफिया के समर्थन के चलते प्रदेश की जनता ऐसी खफा हुई कि उसने सपा को एक बार फिर ‘शून्य’ में पहुंचा दिया। पिछली बार की तरह इस बार भी समाजवादी पार्टी का नगर निगम चुनाव में खाता नहीं खुला।

पिछली बार जहां 16 में 14 सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था तो दो में बसपा को जीत मिली थी। वहीं इस बार सभी 17 नगर निगमों में भाजपा के मेयर होंगे, जबकि समाजवादी पार्टी हाथ मलते रह गई। इन नतीजों से स्पष्ट हो गया कि यूपी को सिर्फ योगी पर ही यकीन है। वहीं अखिलेश यादव और सपा को प्रदेश की जनता ने सिरे से नकार दिया।

10 नगर निगमों में भाजपा से सीधे मिली शिकस्त

शनिवार को नगरीय निकाय के चुनावों के नतीजों में समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। प्रदेश के सभी नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा हो गया। ऐसा माना जा रहा था कि इन चुनावों में भाजपा को सपा से कड़ी टक्कर मिलेगी, लेकिन कुछ एक जगह छोड़कर सपा कहीं टक्कर में नहीं दिखी।

सीएम योगी के विकास के बूते चुनावों में मजबूती से उतरी भाजपा को शुरुआत में आगरा में बसपा के सामने थोड़ी मुश्किल जरूर हुई, लेकिन वहां भी अंत में भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब रही। नतीजों पर निगाह डालें तो 17 में से 10 स्थानों पर भाजपा ने सीधे सपा को शिकस्त दी, जबकि बाकी 7 स्थानों पर सपा तीसरे और चौथे नंबर पर नजर आई। हालत ये रही कि कई सीटों पर तो सपा के प्रत्याशी निर्दलीयों से भी पीछे रहे।

2017 में भी मिली थी करारी हार

2017 में समाजवादी पार्टी ने सभी 16 नगर निगमों में अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन एक भी जगह पार्टी खाता खोलने में नाकाम रही। भाजपा ने जो दो सीटें गंवाई, वहां भी उसे सपा नहीं, बल्कि बसपा के हाथों हार मिली। ये सीटें मेरठ और अलीगढ़ थीं। हालांकि, इस बार भाजपा ने इन सीटों पर भी कब्जा जमा लिया। 2017 में समाजवादी पार्टी का हाल ये था कि महज तीन सीटों पर ही उसके प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे, बाकी सभी सपा प्रत्याशी तीसरे या चौथे स्थान पर रहे थे।

सपा ने 2017 से नहीं लिया सबक

2017 में नगर निगम के चुनाव में करारी हार के बावजूद समाजवादी पार्टी ने सबक नहीं लिया। ऐसा लगा मानो सपा ने पहले ही हार स्वीकार कर ली। एक तरफ जहां सीएम योगी ने निकाय चुनावों में पूरी ताकत झोंक दी,तो वहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव शुभ मुहूर्त का इंतजार करते रहे। वह जब चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरे तब तक सपा का किला ढह चुका था।

न अखिलेश की चुनावी रैलियों का कोई असर दिखा और न ही डिंपल यादव के रोड शो का। बल्कि जहां-जहां अखिलेश और डिंपल ने प्रचार किया, वहां सपा को और भी करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा योगी सरकार द्वारा प्रदेश में बड़े पैमाने पर किए गए विकास कार्यों का मजाक उड़ाना, उन्हें अपना बताना और माफिया के प्रति सॉफ्ट रुख दिखाना भी अखिलेश को महंगा पड़ा। अखिलेश के इन कृत्यों के चलते प्रदेश की जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया।

उत्तर प्रदेश

तांत्रिक की सलाह पर सनकी शख्स ने पत्नी और तीन बच्चों को मार डाला, वारदात को अंजाम देकर हुआ फरार

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक शख्स ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों की गोली मारकर हत्या कार दी। वारदात को अंजाम देने के बाद वो वहां से फरार हो गया। घटना सोमवार रात की बताई जा रही है। सूचना पाकर फॉरेंसिक एक्सपर्ट और डॉग स्क्वॉड के साथ भेलूपुर थाने की पुलिस मौके पर है।

भदैनी स्थित पॉवर हाउस के सामने की गली में राजेंद्र गुप्ता अपनी पत्नी नीतू, बेटी गौरांगी और बेटों नवनेंद्र व सुबेंद्र के साथ रहता था। मंगलवार को पड़ोसियों ने राजेंद्र के घर का दरवाजा खुला नहीं देखा तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची और राजेंद्र के घर गई तो नीतू अपने तीनों बच्चों के साथ खून से लथपथ मृत पड़ी थी। वहीं, राजेंद्र घर से गायब था।

जानकारी के मुताबिक राजेंद्र गुप्ता को किसी ज्योतिषी ने बताया कि आपकी पत्नी आपके कार्य में बाधा उत्पन्न कर रही है। इसके चलते राजेंद्र दूसरी शादी के लिए भी पत्नी से आए दिन बातचीत करता था।

राजेंद्र गुप्ता की मां वारदात के समय मौके पर थीं। हालांकि वृद्ध होने के कारण चल फिर नहीं पाती हैं। राजेंद्र गुप्ता ने कई किराएदारों को अपने मकान में रखा है। किसी भी किराएदार को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि कब गोली मारी गई। फिलहाल फॉरेंसिक टीम को भी सूचना दी गई है। आरोपी राजेंद्र के मोबाइल को ट्रेस किया जा रहा है। देर रात से अभी तक आरोपी की लोकशन का पता नहीं चल पाया है।

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