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प्रादेशिक

रंग लाई योगी की अपील, मुस्लिम धर्मगुरु भी आए आगे, ईदगाहों में हुई नमाज़

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लखनऊ: ईद-उल-फितर के पाक मौके पर उत्तर प्रदेश ने एक नया इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर इस बार पूरे प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर ईद की नमाज़ नहीं अदा की गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी सीएम के अपील का समर्थन किया था, नतीजतन, ईद की नमाज़ ईदगाह अथवा अन्य तयशुदा पारंपरिक स्थान पर ही हुई। हापुड़ और लोनी (गाजियाबाद) सहित कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद और ईदगाहों में जगह कम थी वहां तो अलग-अलग शिफ्ट में लोगों ने नमाज़ पढ़ी।

पिछले वर्षों तक जहां 50 हजार से 01 लाख लोग सड़कों व अन्य स्थानों पर नमाज पढ़ते थे, वहां प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है ईद की नमाज़ सडकों पर नहीं हुई। इससे पहले, अलविदा की नमाज़ के समय भी ऐसी ही अभूतपूर्व स्थिति देखी गई थी, जब मुख्यमंत्री की अपील पर लोगों ने मस्जिदों में ही नमाज़ अदा की थी। यही नहीं, ईद-उल-फितर, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के एक ही दिन होने से यूपी में जताई जा रही विवाद की आशंका भी निर्मूल साबित हुई। लोगों ने ईदगाहों में नमाज़ पढ़ी तो परशुराम जयंती पर विविध संगठनों ने शांतिपूर्ण आयोजन भी किए। प्रदेश के सभी 75 जिलों से हर्ष और उल्लास के साथ त्योहार मनाए जाने की सूचना है। वहीं राजस्थान के जोधपुर सहित देश के कुछ प्रान्तों में ईद पर दो समुदायों के बीच हिंसा व तनाव की खबरें आई हैं।

बीते दिनों, सीएम योगी ने अधिकारियों को ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के एक ही दिन होने पर पुलिस/प्रशासन को अतिरिक्त संवेदनशील रहने को कहा था। साथ ही, सड़क पर यातायात रोक कर नमाज़ पढ़ने से सामान्य जन को होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए इस बावत धर्मगुरुओं से संवाद बनाने के निर्देश भी दिए थे। मुख्यमंत्री के प्रयास का सकारात्मक असर देखने को मिला और कहीं भी सड़क पर नमाज़ नहीं हुई। सीएम के निर्देश पर एहतियातन यूपी पुलिस ने सुरक्षा चाक चौबंद की थी। अनुमान के मुताबिक इस वर्ष प्रदेश में करीब 33 हजार जगहों पर नमाज अदा की गई, इसमें 2,800 स्थानों को चिन्हित कर सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे।

यूपी ने बताया कानून सबके लिए समान, जनहित से समझौता नहीं

बुल्डोजर मॉडल और धार्मिक स्थलों पर लगे अनावश्यक लाउडस्पीकर की समस्या के सौहार्दपूर्ण निदान के बाद अब सड़क पर नमाज़ पढ़ने की समस्या का आम सहमति से हल पेश करने वाले योगी आदित्यनाथ के लॉ एंड ऑर्डर मॉडल की सराहना हो रही है। इन दिनों देश के विभिन्न प्रान्तों में चल रहे लाउडस्‍पीकर विवाद के बीच यूपी में सीएम योगी ने मंदिर-मस्जिद सहित सभी धर्मस्‍थलों पर तय मानकों के मुताबिक लाउडस्पीकर को कम आवाज में बजाने को कहा। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर ने आगे बढ़कर इस आह्वान का समर्थन करते हुए लाउडस्पीकर की आवाज को कम किया अथवा उतारा तो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सभी धर्मगुरुओं से संवाद किया और स्वप्रेरणा से मस्जिदों से भी अनावश्यक लगे लाउडस्पीकर उतरने लगे। मंदिर हो या कि मस्ज़िद, नियमविरुद्ध लगे लाउडस्पीकर उतरने के दॄश्य यूपी में आम हो चले हैं। सबसे खास बात कि यह पूरी प्रक्रिया आम सहमति से हो रही है, कहीं से भी हिंसा, विवाद जैसी अप्रिय घटनाओं की कोई खबर नहीं आई।

यूपी में बन रही शांति और सौहार्द की नई परंपरा सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता मानने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। शांति और सौहार्द के साथ धार्मिक आयोजन होना यूपी में एक परंपरा बनती जा रही है, तो योगी के कानून व्यवस्था ने अन्य राज्यों के सामने नजीर भी पेश किया है। बीती रामनवमी पर देश के कई राज्यों से हिंसा और उत्पात की अनेक घटनाएं हुईं।रामनवमी के अवसर पर शोभा यात्रा निकली, तो शहर-शहर बलवा और बवाल हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश में 800 से अधिक शोभायात्राएं निकलीं और विवाद की एक भी घटना नहीं हुई।

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उत्तर प्रदेश

हेलमेट के बिना पेट्रोल देने से किया इंकार, बिजली कर्मचारी ने काटी पेट्रोल पंप की लाइट

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हापुड़। यूपी के हापुड़ से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बिजली कर्मचारी ने एक पेट्रोल पंप की बिजली इसलिए गुल कर दी क्योंकि जब वह पेट्रोल भरवाने पेट्रोल पंप पर गया तो कर्मचारी ने हेलमेट के बिना उसे पेट्रोल नहीं दिया।

क्या है पूरा मामला?

यूपी के हापुड़ से बिजली कर्मचारी की मनमानी का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। हापुड़ के पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र के परतापुर रोड पर स्थित भारत पेट्रोलियम के एक पेट्रोल पंप पर बिजली कर्मचारी और पेट्रोल पंप कर्मियों में विवाद हो गया। विवाद की वजह जिलाधिकारी का वह आदेश बना, जिसके चलते बिना हेलमेट के किसी भी दो पहिया वाहन को पेट्रोल न देने के निर्देश जारी हुए हैं।

मामला 13 जनवरी का है, जब बिना हेलमेट पेट्रोल पंप पर पहुंचे बिजली कर्मी को पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने पेट्रोल देने से मना कर दिया। दोनों में कुछ देर विवाद हुआ लेकिन पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने बिना हेलमेट के पेट्रोल देने से मना कर दिया। इसके बाद बिजली कर्मचारी ने नाराज होकर पेट्रोल पंप के पास स्थित एक खंभे पर चढ़कर पेट्रोल पंप की ही लाइन काट दी।

पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र में स्थित इस पेट्रोल पंप की बिजली काटते ही सारा कामकाज ठप हो गया और इसके बाद पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने अपने मालिक को पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद उच्च अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद बिजली कर्मचारी ने अपनी गलती मानते हुए लाइन को वापस जोड़ दिया। इसके बाद जाकर विवाद शांत हुआ।

पेट्रोल पंप पर तैनात एक कर्मचारी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि डीएम के आदेश के बाद बिना हेलमेट पेट्रोल देने की मनाही है। इसी वजह से बिजली विभाग के कर्मचारी को पेट्रोल नहीं दिया गया था। बिना हेलमेट होने के कारण जब उन्हें पेट्रोल नहीं दिया गया तो वह नाराज हो गया और उसने पास ही स्थित खंबे पर चढ़कर पेट्रोल पंप की बिजली काट दी। इसके बाद मालिक को सूचना दी गई और करीब 20 से 30 मिनट तक पेट्रोल पंप का कामकाज ठप रहा। इस मामले में एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति पेट्रोल पंप के पास स्थित खंबे पर चढ़कर लाइन काटता हुआ नजर आ रहा है। इस मामले में बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं।

 

 

 

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