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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को नए सिरे से दी जिलों की जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री व दोनों उप मुख्यमंत्रियों के पास 25-25 जिलों का प्रभार, हर चार माह पर होगा रोटेशन

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लखनऊ| मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में आज मंत्रिमण्डल की बैठक में दोनों उप मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, राज्य मंत्रियों (स्व.प्र.), राज्य मंत्रियों को उनके नवीन प्रभारी जनपदों की जिम्मेदारी सौंपी गई है जिसमें मुख्यमंत्री जी ने स्वयं और अपने साथ दोनों उप मुख्यमंत्रियों को 25-25 जनपदों की समीक्षा हेतु जिम्मेदारी भी सौंपी है। जिसमें 4-4 माह के रोटेशन पर जिलों का प्रभार परिवर्तित होता रहेगा। मा. मुख्यमंत्री जी ने सभी मंत्रिमण्डल के सदस्यों को आपसी समन्वय और संगठन को साथ लेकर चलने का आग्रह किया है। सरकार की लोक-कल्याण की नीतियों और योजनाओं को जनता तक ले जाने के आवश्यक निर्देश दिए हैं।

बैठक में प्रभारी मंत्रिगणों को मुख्यमंत्री जी द्वारा दिये गए प्रमुख दिशा-निर्देश:-

● आगामी 17 सितंबर को आदरणीय प्रधानमंत्री जी का जन्मदिन पर स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ होना है सभी प्रभारी मंत्रीगण अपने-अपने प्रभार के जनपद में इस कार्यक्रम में सहभागिता सुनिश्चित करेंगे वच्छता का यह अभियान जनांदोलन बने, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।

● जिले के प्रभारी मंत्री के रूप में मा. मंत्रीगण प्रत्येक माह में कम से कम एक बार 24 घंटे के लिए अपने प्रभारी जनपद में प्रवास करेंगे।

● शासन से संबंधित मुद्दों को मा० प्रभारी मंत्री कोर कमेटी से चर्चा करके प्रत्येक माह शासन में संबंधित विभाग व मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके प्रस्तुत करेंगे।

● जिले के सम्मानित प्रबुद्ध नागरिक, धर्माचार्यों, प्रगतिशील किसानों, व्यापारिक संगठनों सहित सामाजिक नेताओं के समूहों के साथ प्रत्येक प्रवास में किसी एक के साथ बैठक अवश्य होनी चाहिए।

● जिले की समीक्षा बैठक में जनशिकायतों को मेरिट के आधार पर निस्तारित किया जाना अपेक्षित है। कानून व सुरक्षा संबंधी विषयों, राजस्व विभाग से जुड़े हुए विषयों को जैसे वरासत, पैमाइश, नामांतरण, लैण्ड यूज सहित IGRS, CM Helpline आदि की समीक्षा कर मेरिट के आधार पर निस्तारण कराया जाए। इसकी समीक्षा की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय और संबंधित विभाग को अनिवार्य रूप से भेजी जानी चाहिए।

● केन्द्र और राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं, लोककल्याणकारी योजनाओं का स्थानीय स्तर पर प्रवास के दौरान भौतिक सत्यापन भी होना चाहिए।

● निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों, ग्राम सचिवालय, क्रय केन्द्र, फेयर प्राइस शॉप, कृषि विज्ञान केन्द्र में से किसी एक का भौतिक निरीक्षण प्रवास के दौरान करना अपेक्षित है।

● अटल आवासीय विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय, विद्यालय, राजकीय महाविद्यालयों, निर्माणाधीन कस्तूरबा गांधी विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण, पॉलीटेक्निक/आईटीआई के संचालन की समीक्षा की जाए।

● स्थानीय पर्यटन विकास की संभावनाओं की तलाशकर प्रचार-प्रसार पर चर्चा होनी चाहिए। जनपद में प्राप्त निवेश के प्रस्तावों की समीक्षा कर उद्यमी मित्रों और स्थानीय बैंकर्स के साथ चर्चा की जाए।

● जनपद में जिला प्रशासन / पुलिस प्रशासन के साथ यातायात समस्या के सम्बन्ध में बैठक। जनपद में सड़क सुरक्षा के उपायों की समीक्षा करें।आकांक्षात्मक विकास खण्डों की समीक्षा अनिवार्य रूप से जिले की समीक्षा बैठक में होनी चाहिए।

● प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र / सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/जिला चिकित्सालय / मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण एवं कार्यक्रमों की समीक्षा। आयुष्मान कार्ड, दवाओं की उपलब्धता, चिकित्सालयों में चिकित्सकों / पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता। आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मुख्यमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम्य सड़क योजना, ग्राम सचिवालयों के निर्माण, गाँव में तैनात कार्मिकों की उपस्थिति आदि का निरीक्षण करना आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश

अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना बनी सहारा

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योगी सरकार द्वारा शुरू की गई “उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य)” अनाथ और जरूरतमंद बच्चों के लिए एक नई आशा लेकर आई है। अगस्त 2021 में शुरू की गई इस योजना से योगी सरकार बच्चों और किशोरों को सहायता प्रदान कर रही है जिन्होंने कोरोना से इतर कारणों से अपने माता-पिता, किसी एक अभिभावक या संरक्षक को खो दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह योजना अनाथ बच्चों को न केवल आर्थिक सहायता प्रदान नहीं कर रही है, बल्कि बच्चों और युवाओं के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

योजना के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हर माह ₹2500 की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह सहायता उन बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है, जिन्हें माता-पिता के निधन के बाद आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। योगी सरकार ने इन बच्चों की आर्थिक और शैक्षिक आवश्यकताओं को समझते हुए इस योजना को लागू किया, जो अब लाखों बच्चों की मदद कर रही है।

बच्चों की शिक्षा और भविष्य निर्माण पर विशेष जोर दे रही योगी सरकार

इस योजना का लाभ केवल 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तक सीमित नहीं है। 18 से 23 वर्ष के ऐसे किशोर और युवा, जिन्होंने कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और जो राजकीय डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय या तकनीकी संस्थानों से स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें भी इस योजना के तहत सहायता दी जाती है। यह कदम न केवल युवाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि उनके भविष्य निर्माण में भी सहायक है। नीट, जेईई और क्लैट जैसी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को भी इस योजना के अंतर्गत विशेष सहायता प्रदान की जा रही है। इन छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने तक या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, योजना का लाभ दिया जाएगा।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में 29,029 बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से मिला लाभ

योगी सरकार की इस योजना ने पहले ही हजारों बच्चों और युवाओं की जिंदगी बदल दी है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस योजना में वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 29,029 बच्चों को इस योजना के तहत चिन्हित कर लाभान्वित किया गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि योजना जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी और सफल रही है। इस योजना ने अनाथ बच्चों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया है। आर्थिक सहायता के साथ-साथ, यह पहल उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर रही है। योजना न केवल उनके जीवन स्तर को सुधार रही है, बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास और नई उम्मीदें जगा रही है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) का यह कदम न केवल प्रभावित बच्चों और युवाओं के जीवन में बदलाव ला रहा है, बल्कि समाज में समावेशिता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा दे रहा है।

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