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प्रादेशिक

स्वच्छ भारत मिशन व स्टेट सैनिटेशन मिशन के अंतर्गत प्रदेश के सभी गांवों को लाभान्वित करने की दिशा में बढ़ रही है योगी सरकार

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लखनऊ। प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने और राज्य के सभी ग्रामों में स्वच्छता को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्यरत है। प्रदेश में पंचायती राज विभाग द्वारा स्टेट सैनिटेशन मिशन के अंतर्गत दो फेज में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। यूं तो, प्रदेश के सभी जिले 2 अक्टूबर 2018 तक पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं, मगर अब इसे एक स्तर और ऊपर बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों में सम्मिलित 95,826 गांवों को ओडीएफ प्लस (ओपन डेफिकेशन फ्री) के अंतर्गत उदीयमान, उज्ज्वल और उत्कृष्ट केटेगरी में बांटा जा रहा है।

माॅडल ग्राम बनाने का लक्ष्य

प्रदेश में स्वच्छ भारत के अंतर्गत पहले फेज में साल 2014 से 2018 के बीच जो कार्य हुए उन्हीं को सेकेंड फेज (साल 2020 से 2025 तक) में आगे बढ़ाते हुए साल 2025 तक प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों की 95,826 राजस्व गांवों को मॉडल ग्राम बनाने के लक्ष्य की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में पहले फेज में 2.16 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया था। ऐसे में, इनके राख-रखाव, पात्र परिवारों तक पहुंच और ठोस व तरल अपशिष्ट के सुचारू प्रबंधन को स्थायी बनाकर प्रदेश के सभी गांवों को इसका लाभ पहुंचाने की दिशा में राज्य सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है।

ओडीएफ प्लस ग्राम हैं शासन की प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के मुताबिक, सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश को पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त बनाने में जुटी राज्य सरकार देश के निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति से पूर्व ही प्रदेश को इस दिशा में पूरी तरह से सक्षम बनाने का प्रयास कर रही है। इसके अंतर्गत, वर्ष 2022-23 में कुल 6,974 ग्राम ओडीएफ गांव बनाने के लिए लक्षित हैं, वहीं वृहद स्तर पर साल 2023 तक 47,913 राजस्व ग्रामों को ओडीएफ मॉडल गांव व अन्य को उदीयमान, उज्ज्वल व उत्कृष्ट श्रेणी में विभाजित किया जाना है। इसी क्रम में, वर्तमान में उदीयमान श्रेणी में 83,201, उज्ज्वल श्रेणी में 9,211 और 1,287 ग्रामों को उत्कृष्ट श्रेणी में रखा गया है। इन 1,287 उत्कृष्ट ग्रामों में से 71 गांवों का जनपद स्तरीय सत्यापन पूरा हो चुका है।

वित्तीय प्रगति हो रही मॉनिटर

प्रदेश में स्वच्छता मिशन को बढ़ावा देने के लिए न केवल वृहद स्तर पर कार्य हो रहा है, बल्कि इससे सम्बंधित वित्तीय प्रगति का भी विस्तृत लेखा-जोखा रखा जा रहा है। प्रदेश में स्वच्छता मिशन के अंतर्गत व्यय का औसत प्रतिशत 47.40 है। ऐसे में, उन जिलों का ब्योरा भी तैयार किया जा रहा है, जो कि इस मद में सबसे ज्यादा और सबसे कम खर्च कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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