उत्तराखंड
उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में मची हलचल, सीएम धामी के इस सीट से उपचुनाव लड़ने के आसार
मुख्यंमत्री पुष्कर सिंह धामी के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने देहरादून की कैंट विधानसभा सीट के बारे में ऐसा बयान दिया है कि अब सभी की नजरें इस सीट पर लग गई हैं।
मुख्यमंत्री धामी के बयान ने इस चर्चा को हवा दी
दरअसर मुख्यमंत्री धामी ने पिछले दिनों आयोजित हुए भाजपा के स्थापना दिवस कार्यक्रम में खुद को 22 साल से कैंट क्षेत्र का निवासी बताया। उनके इसी बयान ने इस चर्चा को हवा दी है। अब उनके इस बयान को इससे जोड़कर देखा जा रहा है कि वह कैंट क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं।
पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से हार गए थे चुनाव
बता दें कि पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनावों में खटीमा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। लेकिन इन चुनावों में भाजपा ने उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था और भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में धामी को दोबारा राज्य का मुख्यमंत्री चुनाव गया।
जिसके बाद से ही पुष्कर सिंह धामी के उपचुनाव के लिए कई विधायकों ने अपनी सीट छोड़ने का एलान भी किया। अब संभावना यह जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री धामी देहरादून कैंट सीट से उप चुनाव लड़ सकते हैं।
कैंट विधानसभा से पुराना नाता : धामी
स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि उनका कैंट विधानसभा से पुराना नाता है। 22 साल से वह यमुना कालोनी में रह रहे हैं। यहां उन्हें सब जानते हैं। उनके इस बयान के बाद चर्चा शुरू हो गई कि खटीमा से विधानसभा चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी देहरादून कैंट से ही विधायक चुने जाने की तैयारी कर रहे हैं।
यहां से भाजपा विधायक सविता कपूर उनके लिए सीट छोड़ सकती हैं। हालांकि, फिलहाल इस संबंध में कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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