प्रादेशिक
नवीन जिंदल को भी कन्हैयालाल की तरह मारने की धमकी, ट्वीट कर दी जानकारी
नई दिल्ली। उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या से देशभर में सनसनी है। इस बीच भाजपा से निष्कासित नेता नवीन कुमार जिंदल को भी कन्हैयालाल की तरह मारने की धमकी दी गई है। खुद जिंदल ने ट्वीट कर धमकी मिलने की जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि आज सुबह ही मेल पर उन्हें धमकियां दी गई हैं। नूपुर शर्मा की ओर से पैगंबर मोहम्मद पर टिप्प्णी के समर्थन में नवीन कुमार जिंदल ने एक ट्वीट किया था। इसके चलते वह भी विवादों में घिर गए थे और भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
जिंदल ने ट्वीट किया है, ‘आज सुबह करीब पौने 7 बजे मुझे तीन ईमेल आए। इनमें कन्हैयालाल की हत्या के वीडियो भी अटैच थे। मुझे और मेरे परिवार को इसी तरह से मारने की धमकी दी गई है। मैंने पुलिस कंट्रोल रूम को जानकारी दे दी है। पूर्व दिल्ली के डीसीपी, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और पुलिस कमिश्नर को इस मामले का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।’
नवीन कुमार जिंदल को मिली धमकी ने चिंताओं को बढ़ा दिया है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब उदयपुर में जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया है, जिसके चलते पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है।
जिंदल ने अपने ट्वीट के साथ ईमेल के स्क्रीनशॉर्ट भी शेयर किए हैं। इनमें से एक में लिखा गया है, ‘आतंकवादी नवीन कुमार, अब तुम्हारी बारी है। हम तुम्हारा गला बहुत जल्दी ही काटेंगे।’ पार्टी से निष्कासन के बाद से ही नवीन कुमार जिंदल कई बार अपनी जान को खतरा होने की बात कह चुके हैं। उन्होंने सुरक्षा के नजरिए से अपने परिवार को भी दिल्ली से बाहर भेज दिया है।
आज सुबह क़रीब 6:43 बजे मुझको तीन ईमेल आयी है, जिसमें #उदयपुर में भाई कन्हैया लाल की गर्दन काटने का विडियो अटैच करते हुए मेरी और मेरे परिवार की भी ऐसी गर्दन काटने की धमकी दी गई है मैंने PCR को सूचना दे दी है।@DCPEastDelhi @CellDelhi @CPDelhi तुरंत संज्ञान ले। pic.twitter.com/rhzyLbbdNg
— Naveen Kumar Jindal 🇮🇳 (@naveenjindalbjp) June 29, 2022
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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