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आध्यात्म

आज है ईद का त्यौहार,जानें इस त्योहार को मनाने के पीछे कारण और तरीका

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मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद है। आज यानी 3 मई 2022 को भारत समेत पूरी दुनिया में ईद का त्योहार मनाया जा रहा है। इस त्योहार को रमजान के आखिरी दिन मनाया जाता है। ईद को इस्लामिक कलेंडर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मानाया जाता है। बता दें कि ईद को मीठी ईद भी कहा जाता है।

ईद मनाए जाने का कारण

माना जाता है कि ईद के दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इसके बाद इसी खुशी में सभी का मुंह मीठा कराया गया था। इसके बाद से इस दिन को ईद-उल-फितर या मीठी ईद के रूप में मनाया जाने लगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी यानी करीब 1400 साल पहले इस त्योहार को पहली बार मनाया गया था। इसके बाद से ही इस दिन को हर साल सेलिब्रेट किया जाता है। कुरान की पवित्र किताब में भी रमजान के महीने को सबसे पाक महीना माना जाता है।

ईद के खास दिन को इस तरह मनाया जाता है

ईद के खास मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं। इसके साथ ही घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं जिसमें सबसे प्रमुख है सेवई। इस कारण ईद को मीठी ईद भी कहा जाता है। इस त्योहार को भाईचारे और शांति का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन एक दूसरे के गले लगाकर ईद की बधाई देते हैं और सेवई खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराते हैं। ईद के मौके पर लोग एक दूसरे को गिफ्ट्स भी देते हैं । बघर के बड़े बुजुर्ग घर के बच्चों को कई गिफ्ट या पैसे देते हैं। इसे ईदी के नाम से जाना जाता है। गरीबों को खाना और कपड़ा भी दान में दिया जाता है।

ईद के दिन घर पर बनते है कई स्वादिष्ट पकवान

ईद के खास मौके पर घरों में बिरयानी, मीठी सेवई, मिठाई, निहारी, कबाब आदि जैसे कई पकवान बनते हैं। खास तौर पर घरों में कई तरह की सेवई बनती है। इस कारण इस त्योहार को मीठी ईद भी कहा जाता है. इसके साथ ही लोग अल्लाह को ईद के मौके पर शु्क्रिया भी आदा करते हैं।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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