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प्रादेशिक

कानपुर में भीषण सड़क हादसा, दो डंपरों की भिड़ंत के बाद लगी आग, चालक जिंदा जला

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लखनऊ। कानपुर में गुरुवार दोपहर दो डंपरों में आमने-सामने भिड़ंत होने से आग लग गई जिससे बड़ा हादसा हो गया। आग इतनी भीषण थी कि केबिन में एक डंपर का चालक फंस गया और ज़िंदा जल गया। वहीं दूसरे चालक समेत तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। जिसमें से दो की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।

हादसा बिधनू थाना क्षेत्र में रमईपुर पार्किंग के पास हुआ। जहां घाटमपुर निवासी डंपर चालक कमलेश (46) क्लीनर साजिद (27) के साथ कबरई से गिट्टी लेकर लखनऊ जा रहा था तभी रमईपुर पार्किंग के पास कानपुर से घाटमपुर की ओर जा रहे खाली डंपर से टक्कर हो गई।

टैंक से डीजल बहने से दोनों डंपरों में आग लग गई। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर दमकल की तीन गाड़ियां पहुंची। तीनो गाड़ियों ने एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इसके बाद केबिन काटकर उनमें फंसे चार लोगों को निकाला गया। लेकिन तब तक डंपर चालक कमलेश की मौत हो चुकी थी।

वहीं भदरस निवासी दूसरे डंपर के चालक सुरेंद्र (28) व क्लीनर श्यामबाबू (25) को बिधनू सीएचसी से हैलट रेफर किया गया और पहले डम्पर के चालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। बता दें कि हादसे के चलते हाईवे पर करीब दो घंटे तक यातायात बाधित रहा। पुलिस ने क्रेन की मदद से दोनों डंपरों को हाईवे से हटवाकर यातायात बहाल कराया।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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