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प्रादेशिक

जीएसटी एवं वैट से मई महीने में 2,771.32 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई हैः सुरेश खन्ना

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वित्त, संसदीय कार्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2021-22 में माह मई में मुख्य कर-करेत्तर राजस्व वाले मदों में कुल 8,272.55 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई है जबकि वर्ष 2020-21 के मई माह में 5,820.04 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी थी। उन्होंने बताया कि इस प्रकार माह मई 2021 में कर-करेत्तर राजस्व वाले महत्वपूर्ण मदो में वर्ष 2020 के माह मई के सापेक्ष 2,452.51 करोड़ रूपये की वृद्धि हुयी है।

वित्त मंत्री ने बताया कि जी0एस0टी0 एवं वैट के अन्तर्गत वर्ष 2021-22 में माह मई में 2,771.32 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी है, जबकि माह मई 2020 में 1939.52 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई थी। इसी प्रकार वैट के अन्तर्गत 2,286.44 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी है, जो माह मई 2020 की प्राप्ति से 1,266.79 करोड़ रूपये अधिक है।

श्री सुरेश खन्ना ने बताया कि आबकारी के मद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह मई में 2,138.86 करोड़ रूपये की राजस्व प्राप्ति हुयी है, जबकि गत वर्ष माह मई,2020 में 2,169.25 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी थी। स्टाम्प तथा निबन्धन के मद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह मई में 625.03 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो माह मई 2020-21 में349.52करोड़ रूपये प्राप्त हुये थे। इस प्रकार स्टाम्प एवं निबन्धन के मद में माह मई में वित्तीय वर्ष 2020-21में 275.51 करोड़ रूपये अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार परिवहन के मद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह मई में 314.62 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के इसी माह मंे परिवहन के मद में 99.86 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी थी। इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह मई में वर्ष 2020-21 के सापेक्ष परिवहन मद में 214.76 करोड़ रूपये अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि मुख्य कर राजस्व वाले मदों में वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह मई में 8,136.27 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुयी है, जो इस माह के लक्ष्य का 53.00 प्रतिशत है।

वित्त मंत्री ने बताया कि करेत्तर राजस्व की प्रमुख मद भू-तत्व एवं खनिकर्म में वित्तीय वर्ष 2021-22 में माह मई में 136.28 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो माह मई के लक्ष्य का 40.3 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के माह मई में इस मद के अन्तर्गत 242.24 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि वर्तमान में कोरोना का संक्रमण प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के अथक प्रयासों से काफी हद तक कम हो चुका है। उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट ऐसी आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सितम्बर, अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। जो कि बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। इसके दृष्टिगत सभी मेडिकल कालेजों को बच्चों के लिए 50 आईसीयू बेड्स एवं 50 नार्मल बेड्स रिजर्व रखने के निर्देश दे दिए गये हंै।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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