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प्रादेशिक

नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन ने गोमती बैराज से पीपे वाले पुल तक का किया स्थलीय निरीक्षण

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लखनऊ। नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन के द्वारा गोमती नदी से जलकुंभियों को हटाए जाने के संबंध में गोमती नदी के गोमती बैराज से पीपे वाले पुल तक का शुक्रवार को स्थलीय निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में उनके साथ महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया एवं नगर आयुक्त श्री अजय कुमार द्विवेदी भी मौजूद रहे।

मंत्री द्वारा गोमती बैराज से लेकर हनुमान सेतु तक के निरीक्षण में की गयी सफाई पर संतोष व्यक्त किया गया। झूलेलाल से लेकर पक्का पुल तक के निरीक्षण में नदी में पाई गई जलकुम्भी को हटाने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त कुड़ियाघाट के निरीक्षण में घाट तथा किनारे पर नदी की सफाई कराने के निर्देश दिए गए।

पीपेवाले पुल के पास में निरीक्षण के दौरान मंत्री जी द्वारा यह निर्देश दिए गए कि कुड़ियाघाट तक के जलकुम्भियों तथा वहां पर आ रही गंदगी को हटाई जाए। इसके अतिरिक्त निर्देशित किया कि नदी में नगर निगम की सीमा पर जाल लगाकर आने वाली जलकुंभी को रोका जाए।

मा. मंत्री जी द्वारा नदी में गिरने वाले नालों पर जाल लगाकर आने वाले ठोस अपशिष्ट को रोककर नदी को साफ सुथरा रखने के निर्देश दिए गए। मंत्री जी द्वारा सात बड़े नाले जैसे कि बरिकलां, फैजुल्लागंज-बंधा, फैजुल्लागंज-बंधा, सहारा सिटी, गोमती नगर ड्रेन, गोमती नगर विस्तार ड्रेन, घैला पोंड पर बायो रेमिएडेशन के माध्यम से जल शोधन का का कार्य किया जाना है उसे शीघ्र  कारवाई प्रारम्भ कराने के निर्देश दिए गए।

सरकटा नाले के निरीक्षण के दौरान निर्देशित किया गया कि संपूर्ण नाले की सफाई करायी जाए जिससे जलभराव की समस्या का सामना आम जनता को ना करना पड़े।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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