प्रादेशिक
‘मोपला नरसंहार’ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर बोले सीएम योगी- वामपंथी इतिहासकारों ने सत्य को छुपाया
लखनऊ। मानवता के माथे पर कलंक ‘मोपला नरसंहार’ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर सीएम योगी ने कहा कि मालाबार में हिन्दुओं की हत्या इसलिए हुई, क्योंकि उन्होंने मतांतरण करने से मना कर दिया था। वामपंथी इतिहासकारों ने सत्य को छुपाया, लेकिन स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ने इसकी सच्चाई समूचे राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत की।
उन्होंने कहा कि आज से 100 वर्ष पूर्व केरल के मालाबार में जिहादी तत्वों ने हजारों हिन्दुओं का नरसंहार किया था। इसमें 10 हजार से अधिक हिन्दुओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी। सैकड़ों मंदिर तोड़ दिए गए थे। माता, बहनों व बेटियों पर अत्याचार किए गए थे।
वोट बैंक और तुष्टिकरण की घृणित व कुत्सित राजनीति करने वाले तत्कालीन सत्ताधारियों ने मोपलाओं को पूरा संरक्षण दिया था। मोपला नरसंहार पर पर्दा डालने के लिए इसे विभिन्न नाम दिए गए थे। कुछ लोगों ने इसे मोपला विद्रोह तो कुछ ने खिलाफत आंदोलन की असफलता से मुस्लिम समाज में उपजा हुआ विद्रोह बताया था।
सीएम योगी ने कहा कि आद्य शंकराचार्य जी की धरती पर हिन्दुओं की रक्षा के लिए गुरु गोरक्षनाथ जी के अनुयायी वीर ‘गोरखा’ आए थे, जिन्होंने मजहबी मोपलाओं की हिंसा को मजबूती से नियंत्रित किया था। संपूर्ण मानवता को जिहादी सोच से मुक्ति दिलाने के लिए सभी भारतीयों को एकजुट होकर संकल्पबद्ध रहना होगा, ताकि मालाबार नरसंहार की पुनरावृत्ति न हो।
उत्तर प्रदेश
लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ
लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।
फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।
तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल
वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।
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