प्रादेशिक
वाराणसी में 50 बेड का मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनकर तैयार, पीएम मोदी कर सकते हैं उद्घाटन
वाराणसी। वाराणसी में एक छत के नीचे तीन चिकित्सा पद्धति वाला अस्पताल बन कर तैयार हो गया है। मोदी -योगी की सरकार आयुर्वेद ,यूनानी ,होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति ,योग और प्राकृतिक चिकित्सा से लोगों को निरोग रखेगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निगरानी में 50 बेड का एकीकृत आयुष चिकित्सालय ग्राम भदरासी विकास खंड आराजीलाइन में बन कर तैयार हो गया है। इस अस्पताल का निर्माण ऐसी जगह किया गया है, जिससे चंदौली ,मिर्ज़ापुर ,भदोही और वाराणसी समेत चार जिलों के लोगों को स्वास्थ सुविधा का लाभ मिल सके । अस्पताल में ही हर्बल गार्डन भी होगा जिससे औषधियां बनाई जाएंगी। लगभग 9 करोड़ की लागत से बने इस अस्पताल का उद्धघाटन प्रधानमंत्री वाराणसी के 23 दिसंबर के प्रस्तावित दौरे में करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक छत के नीचे तीन चिकित्सा पद्दति से इलाज़ करने वाला अस्पताल बन कर तैयार हो गया है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी भावना द्विवेदी ने बताया कि भद्रासी में बनकर तैयार 50 बेड के एकीकृत आयुष चिकित्सालय में आयुर्वेद ,यूनानी ,होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से इलाज़ होगा साथ ही योग सी भी निरोग रहना सिखाया जाएगा। इस अस्पताल का निर्माण राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत कराया गया है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने बताया कि भद्रासी में बनकर तैयार इस मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में मरीजों को आउटडोर के साथ ही इनडोर की चिकित्सा सुविधाएं भी मिलेंगी। अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सकों के अलावा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का उपचार करेंगे। अस्पताल में सामान्य रोगों के साथ ही गठिया, पाइल्स, सर्वाइकल, शुगर, नेत्र आदि रोगों के उपचार की भी व्यवस्था है । इस आयुर्वेदिक अस्पताल में क्षार सूत्र एवं पंचकर्म विधि से भी उपचार की व्यवस्था होगी।
अस्पताल परिसर में योग के लिए भी जग़ह है। यहां तैनात होने वाले योग प्रशिक्षक लोगों को योग के जरिए निरोग रहने का हुनर सिखाएंगे। साथ ही कुछ रोगों का उपचार योग के जरिए भी किया जाएगा। अस्पताल परिसर की खाली जमीन पर हर्बल गार्डन बनाने की भी योजना है। यहां जड़ी-बूटियों के पौधे लगाये जाएंगे जो मरीजों के उपचार में तो काम आएंगे ही अस्पताल के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहयोग करेंगे । इस अस्पताल में करीब 75 लोगों को प्रत्यक्ष और हज़ारों लोगो को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी भावना द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय आयुष मिशन और यूपी राज्य आयुष सोसाइटी मिलकर बना रही है। इसकी लागत 9 करोड़ है।जिसमे 6.41 करोड़ में सिविल वर्क हुआ है , शेष राशि में अस्पताल के उपकरण बेड आदि के साथ अन्य काम हुए है जिसमें 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशी राज्य सरकार खर्च की है। ये अस्पताल ग्राउंड प्लस दो मंजिल का अस्पताल है। जहां दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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