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आध्यात्म

वाराणसी: सावन में महंगा हुआ बाबा का दर्शन पूजन, जानिए नई शुल्क दर

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वाराणसी। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन माह में दर्शन-पूजन महंगा हो गया है। सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 15 सौ रुपये से बढ़ाकर दो हजार कर दिया गया है। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आरती और दर्शन-पूजन के शुल्क दर की नई लिस्ट जारी की है। पूजन से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर में सावन के सोमवार पर सुगम दर्शन का शुल्क 500 रुपये से बढ़ाकर 750 प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। सावन के अन्य दिनों में सुगम दर्शन का शुल्क 500 रुपये ही रहेगा।

सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 1500 रुपये से दो हजार हो गया है। जबकि बाकी दिनों में एक हजार रुपये का टिकट रहेगा। पिछले वर्ष यह टिकट 700 रुपये में मिलता था। मध्याह्न भोग आरती, सप्त ऋषि आरती व श्रृंगार भोग आरती का टिकट पूरे माह 500 रुपये रहेगा, जबकि पिछले वर्ष यह शुल्क 200 रुपये था। अगर श्रद्धालु सावन में सोमवार को विशेष शृंगार करना चाहते हैं तो उन्हें अब 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जबकि विगत वर्ष यह धनराशि 15 हजार रुपये थी।

एलईडी टीवी पर भी होगा बाबा का दर्शन

इस बार सावन में श्रद्धालुओं के लिए जहां गंगा द्वार खोल दिया गया है, वहीं परिसर में दर्जनभर स्थानों पर एलईडी टीवी लगेंगी। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल मंगलवार दोपहर विश्वनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने गंगा घाट से लेकर परिसर तक की व्यवस्थाएं परखीं।

उन्होंने कहा कि दशाश्वमेध घाट से स्नान करने के बाद अगर श्रद्धालु विश्वनाथ धाम में प्रवेश करता है तो समुचित बैरिकेडिंग, मैटिंग, पेयजल सहित सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। इसके लिए मंदिर प्रशासन उचित प्रबंध कर ले।

सावन के दिन विशेष में पूजा शुल्क में बढ़ोतरी

  • सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 2000 रुपये
  • सामान्य दिनों में मंगला आरती का शुल्क 1500 रुपये
  • सुगम दर्शन को सामान्य दिनों में खर्च करने होंगे 500 रुपये
  • सोमवार को सुगम दर्शन का खर्च 750 रुपये
  • मध्याह्न भोग आरती, रात्रि शृंगार, सप्तर्षि आरती, भोग आरती का खर्च 500 रुपये
  • सावन में एक शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक कराने का शुल्क 700 रुपये
  • सोमवार को पांच शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक कराने के तीन हजार रुपये देने होंगे
  • अन्य दिनों में पांच शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक पर 2100 देने होंगे
  • सोमवार को सन्यासी भोग के लिए 7500 रुपये
  • सावन के अन्य दिनों में सन्यासी भोग के 4500 रुपये लगेंगे

जिग-जैग लाइन में खड़े होंगे श्रद्धालु

कमिश्नर ने कई स्थानों पर जिग-जैग लाइन बनाने का निर्देश दिया। मंदिर चौक में टेंट से छाया और कूलर पंखे लगाकर गर्मी से निजात दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस बार सावन में सात लाख लोगों की आने की संभावना है। इसलिए व्यवस्थाएं भी वैसी होनी चाहिए।

परिसर में गंदगी फैलाने पर 500 रुपये का जुर्माना

काशी विश्वनाथ धाम में अगर आप गुटखा खाते हुए या गंदगी फैलाते पकड़े गए तो 500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। मंगलवार को मंदिर परिसर में दूध का पैकेट फेंकने पर दो लोगों से जुर्माना वसूला गया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर प्रशासन कैमरे से भी निगरानी शुरू कर रहा है।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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